मित्रता
मित्रता


मम्मी जल्दी बाहर आओ, देखो तो पापा एक और नया गी लेकर आए हैं। गगन की उत्सुकता देखते ही बनती थी। देखो तो कितना गोरा चिट्टा है, बिल्कुल सफेद। अम्मा आप भी बाहर आकर देखो ना। घर में क्या पहले से जानवरों की कमी थी, जो एक और ले आया (अम्मा ने उपेक्षित भाव से कहा)
देखो आभा, अभी इसे सबसे अलग रखना, सभी से घुलने मिलने में समय लगेगा...और हाँ इसे थोड़ी सी दूध में भिगोकर रोटी भी दे देना। (गगन के पिता ने अपनी पत्नी को हिदायत दे कर बाहर चले गए)
गगन का घर मानो अच्छा खासा चिड़िया घर बन चुका था। पहले से ही दो लंगूर, एक कुत्ता, खरगोशों का जमघट, कबूतर, बतख़ और तोते थे अब एक और नया मेहमान घर में आ चुका था।
गगन के पिता को जानवरों से कुछ खास ही लगाव था तभी वहाँ जानवरों का जमावड़ा लगा रहता था। घर में जो भी बाहर से आता उसे बड़ी शान से जानवरों से मिलवाते।
बाकी सभी जानवर तो एक दूसरे से अच्छी तरह से घुल मिल गए थे, कोई किसी को हानि न
हीं पहुँचाता था। पर जब उस नवागंतुक को सबसे मिलवाया गया तो सभी ने उसका स्वागत किया किंतु शेरू को उसका आना अच्छा नहीं लगा। वह उस पर इतनी तेजी से गुर्राया कि उसे बाँधना पड़ा।
पापा, इसका क्या नाम रखें ? गगन ने पूछा। जैकी रख लें
क्या? सभी ने हाँ में स्वीकृति दी।
नया और छोटा होने के कारण जैकी को सभी प्यार करते थे, यह बात शेरू को पसंद नहीं आती और वह जब भी मौका मिलता उस पर हमला कर देता। जैकी को खाना खिलाते समय शेरू को बाँधना पड़ता। एक दिन गमले से मिट्टी खोदते समय शेरू के ऊपर गमला गिर गया, रात का वक्त था, सभी गहरी नींद में सो रहे थे। जैकी ने सभी जानवरों को इकट्ठा किया। जैकी और दोनों लंगूर ने मिलकर गमले को हटाया और शेरू को बचाया।
शेरू अब दयनीय भाव से जैकी को देख रहा था। उसे अपनी ग़लती का अहसास हो चुका था। उसके बाद दोनों में कभी लड़ाई नहीं हुई। अब तो हालत ये है कि दोनों एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते।