स्वप्न -स्थल
स्वप्न -स्थल
क्या कभी किसी के साथ ऐसा हुआ हो कि आपको बार-बार सपने में अक्सर एक ही स्थान दिखाई देता हो और आप इस असमंजस में पड़ जाते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या सम्बन्ध हो सकता है इस स्थान के साथ? क्या कोई पुनर्जन्म की स्मृति या फिर अचेतन मन की कोई विस्मृति !
न जाने क्यों मुझे कई बार एक ही स्वप्न दिखाई देता है।
एक मंदिर जो बहुत ऊँचाई पर बना हुआ है।सीढ़ियाँ इतनी कि जो समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहीं और उनके मध्य खड़ी हुई मैं।कुछ समय बाद मैं अपने आप को मंदिर में खड़ा हुआ पाती हूँ।
मंदिर के गर्भ गृह से बाहर की तरफ विशालकाय घासनुमा मैदान है और उसकी चारदीवारी पर मूर्तियाँ उकेरी गई हैं जो कि उसे और भव्य बना रही हैं। मैं कुछ और सीढ़ियाँ चढ़ कर मंदिर में प्रवेश करती हूँ तो मुझे उसके भीतर कई सारे छोटे -छोटे मंदिर दिखाई देते हैं।
मैं देखती हूँ कि भीतर आरती हो रही है और उसी दौरान मुझे देवी की प्रतिमा का रौद्र रूप दिखाई पड़ता है।
मुझे महसूस होता है कि शायद मुझसे कोई भूल हुई है और मैं सहम जाती हूं।
थोड़ा और आगे जाने पर मुझे बाईं तरफ नीचे की ओर जाती हुई सीढ़ियाँ दिखाई देती हैं और उनसे नीचे उतर कर कई छोटे-छोटे कमरे मिलते हैं।एक कमरे से कुछ मन्त्रोच्चार की ध्वनि सुनकर मैं वहीं रूक जाती हूँ और भीतर झाँकने की कोशिश करती हूँ।
अन्दर का दृश्य देखकर दंग रह जाती हूँ कि वहाँ कुछ साधु जादू-टोना जैसा कुछ कर रहे हैं।सामने की ओर से रोशनी आती देख मैं उस दरवाजे की तरफ तेजी से जाने की कोशिश करती हूंँ ,वहाँ पहुँच कर मुझे लगता है कि मैं मंदिर के पीछे पहुँच गई हूँ।
वहाँ लोगों की भीड़ है ,सामने दूर सूर्यास्त का मनोरम दृश्य दिखाई दे रहा है।मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता तो मैं मंदिर के और ऊपर की तरफ जाने की कोशिश करती हूँ। मुझे ऊपर की ओर जाने वाला रास्ता दिखाई देता है।कुछ अजीब सा मानो कोई भूल -भूलैया हो। चलते-चलते कहीं रास्ता बन्द हो जाता तो वापिस उसी रास्ते से दूसरी ओर जाने का प्रयास करती हूँ।
कहीं सीढ़ियाँ तो कहीं समतल रास्ता। मुझे लगता है कि मैं वहाँ फंसकर रह जाऊंगी ,तभी मुझे एक दरवाजा दिखाई देता है और वहाँ से मैं ऐसी जगह पहुँच जाती हूं जहाँ लिफ्टनुमा कोई दरवाजा है। मुझे पता चलता है कि ये मंदिर से किसी दूसरे मंदिर तक पहुँचेगा ,जैसे ही उस लिफ्ट से बाहर निकलती हूँ तो सामने एक विशालकाय नदी दिखाई देती है जिसके आसपास जंगल ही जंगल हैं और उनमे जंगली जानवर खुलेआम घूम रहे हैं पर किसी को कुछ नहीं कह रहे।
नदी अपने ऊफान पर है और मैं उसके किनारे पर ही बैठकर हाथ-पैर धोने की कोशिश करती हूं ।एक खौफ सा है मन में कि धारा कहीं बहाकर न ले जाए ।मुझे वहाँ एक नाव दिखाई देती है और मैं उसमें बैठकर निकल पड़ती हूँ।
जैसे ही मैं किसी एक मंदिर के पास से गुजरती हूँ तो लगता है कि मुझे रूककर देखना चाहिए, मैं अनायास ही उसे देखने चल पड़ती हूँ ,मन्दिर में दीवारों पर सुन्दर
चित्रकारी की गई है।
तभी अचानक से ये सपना टूट जाता है और मैं हड़बड़ा कर उठ जाती हूँ। ऐसे एक ही जगह का बार-बार दिखाई देना ये संकेत देता है कि ऐसी कोई तो जगह होगी जो मेरे सपने से मिलती -जुलती होगी।मैंने कई लोगों से इसका जिक्र किया तो मुझे किसी से पता चला कि माऊन्ट आबू में नदी, जंगल और मंदिर हैं।
पर जहाँ तक मैंने पढ़ा है कि वहाँ तो दिलवाड़ा के जैन मंदिर हैं।पर जो मंदिर मैंने देखा था उससे तो प्रतीत होता है कि वो कोई काली का मन्दिर है।। खैर ,जो भी हो मैं एक बार वहाँ जरूर यह देखने जाना चाहती हूँ कि क्या वो जगह माउन्ट आबू ही है या फिर कोई अन्य स्थान है।यदि आप में से किसी को इस जगह के बारे में कुछ पता हो तो मुझे सूचित अवश्य करें।