दस्तक़
दस्तक़
इस दुनिया मे ऐसी ऐसी विचित्र घटनाए होती है कि उनपे विश्वास कर पाना मुश्किल हो जाता है । ये घटना भी कुछ ऐसी ही है जिसपे भरोशा करना कठिन है लेकिन ये एक सच्ची घटना है ।।
राहड़ बेड़ा नाम का एक बहुत ही पिछड़ा गाँव था जिसमे बिजली सड़क जैसी कोई सुविधाएं नही थी । लोग लालटेन , डिबरी , मोमबत्ती का इस्तेमाल किया करते थे ।
इस गाँव मे बहुत ज्यादा आबादी नही थी । लोगो के घर भी दूर दूर बने हुए थे । वंहा विमला नाम की एक बूढ़ी औरत रहा करती थी जिसे विमला मौसी के नाम से लोग जानते थे । विमला एक धाइ थी यानि बच्चे पैदा कराने वाली नर्स समझ लीजिए । गाँव में आज भी ऐसी धाइ हुआ करती ही है जो अपने हाथों और अनुभवों से बच्चे करा देती है ।।
तो बात कुछ ऐसी थी कि पास के ही इलाके में एक महिला गर्भ से थी । उसका 6वा महीना चल रहा था उसका पति किसी काम से शहर गया हुआ था । उस रात उसके पेट मे बहुत तेज़ दर्द हुआ वो दर्द बर्दाश नही कर पाई और उसकी मौत हो गयी। जब तक कोई धाइ बुला पाता उस महिला ने दर्द से दम तोड़ दिया । उस मृत का पति घर लौटा तो वो बहुत रोया । उसने गाँव वालो के साथ लाश का अंतिम संस्कार कर के उसे कब्रिस्तान ले जाकर जमीन में दफ़न कर दिया । बहुत से गाँव में आज भी लोग किसी के मरने के बाद उसकी लाश को जलाने के वजह ज़मीन में गाड़ दिया करते है । पत्नी की मौत का सदमा उसे बर्दाश नही हुआ और कुछ दिन बाद वो भी खुद गाँव छोड़ कंही चला गया ।
3 महीने बीत चुके थे इस घटना को घटित हुए । एक रात जब विमला अपने घर मे सोई थी तब उसके दरवाजे पर दस्तक सुनाई पड़ी। कोई बहुत जोर जोर से दरवाजे को पिट रहा था । इन आवाज़ों से विमला की नींद खुल गयी । 60वर्ष की विमला अकेली ही रहती थी उसके आगे पीछे कोई नही था इस दुनिया मे । उसने घड़ी की तरफ नज़र घुमाया तो घड़ी में 12 बज रहा था । इतनी रात ये कौन दरवाजा पिट रहा है वो सोचने लगी । शायद कोई मदद मांगने आया हो सोच कर उसने हिम्मत कर दरवाजा खोला ।
सामने कुछ लोग खड़े थे जिनमें ज्यादातर लंबी घूंघट लिये महिलाएं थी और कुछ कम्बल लपेटे मर्द । इतने सारे लोगो को देख विमला चौक गयी । सारे के सारे सफेद काले लिवाजो में ढके हुए थे और किसी का भी चेहरा ठीक से दिख नही रहा था । सबसे आगे एक महिला हाथ मे लालटेन लिये खड़ी थी । उस महिला ने कहा कि हमारी सहेली गर्भ से है उसका 9 महीना पूरा हो चुका है आप चलिए जल्दी वो तकलीफ में है । वो औरत घुंघट के आड़ से ही बोली केवल उसकी होंठ ही बिना ढके थे ।
औरत की बात सुनकर विमला सोचती है कि वाकई कोई महिला मुसीबत में है शायद , इसलिए तुरंत चलना चाहिए। विमला एक कपड़ा और एक लालटेन लिए उन लोगो के पीछे पीछे चल देती है । सारे लोग आगे आगे और विमला उनके पीछे पीछे चले जा रहे थी । रास्ते भर कोई किसी से बात नही बस एक सीध में सब चले जा रहे थे ।
इतने में विमला ने गौर किया कि वो कब्रिस्तान की तरफ मुड़ने लगे । इसपर उसे शक हुआ कि ये लोग इस रास्ते पर क्यों जा रहे है कंही ये लोग ...
वो लालटेन को थोड़ा आगे कर उसकी पीली रोशनी के सहारे अपनी नज़रे गड़ाकर अपने आगे चल रही महिला के पैरों के तरफ देखती है । ऐसा कहा जाता है कि भूत प्रेत चुड़ैलों के पैर उल्टे होते है । और यंहा भी विमला को उल्टे हुए पैर नज़र आए । ये देख कर विमला का हलक सुख जाता है । वो समझ जाती है कि इन लोगो के साथ आकर उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है । अब भागे भी तो कैसे ये लोग तो भूत है रास्ता छैक ही लेंगे। बहरहाल विमला उनके पीछे चलती रही । थोड़ी ही देर में वो सब कब्रिस्तान पहुंच गए जंहा एक गर्ववती महिला दर्द से कराह रही थी । विमला ने देखा ये वही महिला थी जिसका 3माह पूर्व गर्भवती अवस्था मे दर्द से इन्तेकाल हुआ था जिसे इसी कब्रिस्तान में दफन किया गया था । शायद आज उसके डिलीवरी का वक्त हो गया था । विमला सब कुछ समझ चुकी थी । मगर फिर भी वो ये सब कुछ ऐसे कर रही थी मानो उसे मालूम ही नही चला है कि ये लोग भूत है। गर्म पानी और बाकी की हर जरूरत के सामान पहले ही मौजूद थे । कुछ देर बाद महिला एक बच्चे को जन्म देती है जो कि पहले से ही मरा हुआ होता है । महिला का दर्द अब खत्म हो जाता है ।
सारे लोग विमला को वापस उसके घर सही सलामत छोड़ने के लिए आते है । घर के दरवाजे तक पहुंचाने के बाद लालटेन पकड़ी औरत विमला को धन्यवाद कहती है साथ ही कहती है कि 'जाओ सो जाओ .. और हां किसी से कुछ मत कहना ' ।
इतना कह कर वो जाने लगती है और बाकी सब भी जाने लगते है ।
उस रात विमला को नींद ही नही आई । सारी रात बस उस घटना के आकलन में निकल गया कि ये सच था या कोई डरावना सपना ।
सुबह होते ही उसने बातो बातो में इस घटना का जिक्र अपने पड़ोस की महिलाओं से कर दी ।
उसी रात विमला की रहस्यमय तरीके से मौत हो गयी ।
अगली सुबह विमला के घर से विमला की लाश बरामत हुई ।।