Sushant Mukhi

Inspirational Thriller

4  

Sushant Mukhi

Inspirational Thriller

आत्मरक्षा

आत्मरक्षा

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शाम के छ: बज रहे थे । नीतू ट्यूशन जाने के लिए तैयार हो रही थी । नीतू की माँ शालिनी अब तक ऑफिस से लौट आया करती थी लेकिन शायद आज कुछ काम मे उलझ गई थी इसलिए देर हो रही थी ।


नीतू ने अपनी माँ को कॉल लगाया ।

"हेलो मम्मा , आप कंहा हो इतनी देर तक ?" नीतू ने फ़ोन पर पूछा । 

"हां बेटा आज थोड़ी देर हो जाएगी तुम घर लॉक करके चले जाओ अपने ट्यूशन । मैं थोड़ी देर में घर के लिए निकलूंगी ।"

शालिनी ने जबाब दिया । 


ठीक है । कह कर नीतू ने कॉल काट दिया ।

और अपना बैग , मोबाइल लेकर नीतू ने दरवाजा बंद किया और ताला लगा कर अपनी साईकल लेकर चल दी । 


नीतू एक कॉलेज स्टूडेंट थी जिसकी उम्र 17 साल थी । नीतू के पिता अब दुनिया मे नही थे । घर मे अगर कोई था तो नीतू और नीतू की माँ शालिनी । शालिनी एक आफिस में जॉब करती थी । पति के जाने के बाद अपनी और अपनी बेटी की जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी शालिनी पर ही थी । 12वी क्लास पास शालिनी ने किसी तरह से खुद के लायक एक जॉब हासिल कर ली थी और पिछले 2 साल से एक आफिस में काम कर रही थी । 3साल पहले पति एक सड़क दुर्घटना में जान गवा बैठे तब से शालिनी ने ही खुद को भी और नीतू को भी संभाला । उसे मालूम था कि यदि वो काम नही करेगी तो उसका और नीतू का पेट नही चलेगा । अब उसकी सिर्फ इतनी ही चाह थी कि नीतू की पढ़ाई हो जाने के बाद उसे अपने पैरों पर खड़े कर दे और फिर किसी सही लड़के से उसकी शादी कर दे और खुद चिंतामुक्त हो जाएगी । 


शालिनी ने अपना आफिस का काम खत्म कर लिया और घर जाने को हुई । आज थोड़ी देर हुई शालिनी को आफिस से निकलने में क्योंकि आज काम थोड़ा ज्यादा था । शालिनी ने ऑटो रुकवाया और उसमें सवार हो गयी । शाम ढल चुकी थी । शर्दी का मौसम शुरू हो चुका था इसलिए अब शाम भी जल्दी होने लगी थी । रास्ते भर में शालिनी ने गौर किया ऑटो वाला उसे बार बार देख रहा था आईने के जरिये । शालिनी को उसकी नज़रे भा नही रही थी । रास्ते मे एक एक कर बाकी सवारियां उतरते गए अब शालिनी अकेली रह गयी थी । ऑटो वाला उसे बीच बीच मे आईने से देख लिया करता था । शालिनी की उम्र लगभग 40 की थी । सिर के सामने वाले 2-3 लटो में थोड़ी सफेदी वक्त और उम्र के साथ दस्तक दे चुके थे । रंगत गोरा । आंखों के नीचे हल्की जाईया जरूर थी जो वक्त के मार ने डाल दिए थे मगर उसकी शारीरिकता अब भी ठीक ठाक थी । एक शादीसुदा औरत पर भी लोग अपनी इक्छाओ को नज़रे में पिरोकर तीर की भांति छोड़ते है तो बिना पति के औरत पर तो हर दूसरे मर्द की आह टिक जाती है । और यदि दिखने में अगर थोड़ी सी भी मांसल हो तो फिर उम्र और लिहाज़ मायने नही रहता । आखिरकार ऑटो शालिनी के मंज़िल तक आ पहुंची । 

शालिनी ने अपने पर्स से रुपये निकाले और उसे थमा दिया । वो एक बार फिर आंखे गहरी कर शालिनी को एक टक देखा और ऑटो बढ़ा लिया ।। शालिनी अब पैदल अपने घर की और चल दी ।शालिनी घर पहुंच गयी । दरवाजे का ताला खोल अंदर चली गयी ।। 


रात के 8बज चुके था । शालिनी ने अपना घर का सारा काम निपटा लिया था । इतने में उसकी फ़ोन बज उठी । नीतू का कॉल था । नीतू बताती है कि उसे आने में थोड़ी सी देर और लगेगी क्यों कि उसे अपने फ्रेंड के बर्थडे पार्टी पे भी जाना था उसके फ्रेंड्स बहुत ज़िद कर रहे थे। शालिनी ने पहले मना किया लेकिन नीतू के बार बार प्लीज कहने पर आखिरकार शालिनी ने उसकी बात मान ली । मगर ज्यादा देर न करने की हिदायत दी । जल्दी घर लौट आना इतना कह कर शालिनी ने फ़ोन रख दिया ।


शालिनी ने टी वी चालू किया और अपना मन बहलाने की कोशिश करने लगी । थकी हुई शालिनी की आंख टी वी देखते देखते कब लग गई उसे पता ही नही चला । थोड़ी देर बाद शालिनी अचानक एक बुरे सपने की वजह से आंखे खोल उठ बैठी । 


शालिनी ने एक बुरा सपना देखा जिसमे नीतू के साथ कुछ बुरा हो रहा था । कुछ लड़के उसे घेरे हुए थे और वो माँ माँ पुकार रही थी।  

शालिनी इधर उधर देखती है और फिर एक तसल्ली भरी सांस छोड़ती है " एक बुरा सपना था " । 

टी वी अब भी चालू था ।


उसने घड़ी की तरफ देखा । 10 बजकर 15 मिनेट। 

" है भगवान ये लड़की अभी तक नही आयी ।" शालिनी गुस्से और फिक्र दोनो के मिश्रित स्वर में खुद से बोली । शालिनी ने अपना फ़ोन लेकर नीतू का नंबर डायल किया । सामने से नीतू का मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था । उसने दुबारा कोशिश किया और जबाब फिर वही ।

"कभी भी नीतू का मोबाइल स्विच ऑफ नही आता है आज पहली बार कॉल करने पर स्विच ऑफ आ रहा है । " शालिनी अपने मन में सोचने लगी ।


शालिनी ने नीतू के ट्यूशन मास्टर को कॉल किया ।

"हेलो, सर । मैं नीतू की माँ बोल रही हूँ । नीतू अब तक घर नही आई है क्या नीतू अब भी वंही है ?" शालिनी ने पूछा।


"शालिनी जी, नीतू तो ट्यूशन खत्म होते ही चली गयी थी । 8 बजे जैसे ही उसकी क्लास खत्म हुई वो और बाकी सारे चले गए थे । अब तक तो उसे घर पहुंच जाना चाहिए था ।" मास्टर ने कहा ।

शालिनी को याद आया कि नीतू ने कॉल कर उसे बताया था कि उसके फ्रेंड की बर्थडे पार्टी है । 

"ओह शायद वो अपने दोस्तो के साथ होगी । उसने बताया था कि उसे बर्थडे पार्टी में जाना है । मैं भूल गयी थी । माफ कीजिये सर मैने ख़ामोखा कॉल कर आपको तकलीफ दिया । " शालिनी ने कहा । 


"नही .. नही कोई बात नही । ठीक है रखता हूँ ।" मास्टर ने कॉल काट दिया । 


शालिनी ने एक बार फिर नीतू को कॉल किया मगर अब भी उसका फोन बंद आ रहा था ।


अब शालिनी का जी घबराने लगा ये सोच कर की वो इतनी देर कंहा रह गयी ..? इतनी देर पार्टी क्यों !! या कंही कोई मुसीबत में न फस गयी हो ? और फिर ये बूरा सपना .. है भगवान ।



शालिनी याद करने की कोशिश करती है कि नीतू ने फ्रेंड की बर्थडे पार्टी की बात कही थी मगर किस फ्रेंड का बर्थडे ये तो शालिनी ने पूछा ही नही था और हड़बड़ी में नीतू ने बताया भी नही था । 


" अब क्या करूँ किसको कॉल कर के पता करु ? " शालिनी परेशान होकर खुद में बुदबुदाई । 

फिर वो उसके एक - दो फ्रेंड्स जिनका नंबर शालिनी के पास था उनको कॉल कर नीतू के बारे में पूछी । 


हेलो , मेघा बेटा । क्या नीतू तेरे साथ है क्या ?


"नही आंटी । नीतू मेरे साथ नही है । मैं तो आज नीतू से मिली भी नही । आज मेरी तबियत ठीक नही थी इसलिए मैं ट्यूशन नही गयी थी । " नीतू की दोस्त मेघा ने कहा । 


मेघा ने आगे पूछा , " क्यों क्या बात है आन्टी ? नीतू ठीक तो है न ? " 


" पता नही । ट्यूशन गयी थी । घर लौटने में देर हो जाएगी किसी फ्रेंड के बर्थडे पार्टी में जाना है ऐसा बोली थी । " शालिनी का गला रुंधने लगा था । 


" बर्थडे पार्टी । ओ हां । आज सुबह जब नीतू से मेरी कॉल पे बात हुई थी तब उसने मुझे बताया था कि शाम में विक्रम की बर्थडे पार्टी है । उसने मुझसे भी जिद किया था पार्टी में चलने की मगर मेरी तबियत ठीक नही है इसलिए मैंने माना कर दिया। " मेघा ने बताया । 


" बेटा , मुझे विक्रम का नंबर दो मैं उसे कॉल कर के पूछती हूँ " शालिनी ने कहा ।


मेघा मायूस होकर बोली , "सॉरी आन्टी , मेरे पास विक्रम का नंबर नही है । असल मे विक्रम और मेरी कोई खास दोस्ती नही है ।" 


ये सुनकर शालिनी की टेंशन बढ़ गयी । 


मेघा आगे बोली , " मुझे ठीक से तो नही लेकिन बस इतना पता है कि विक्रम जमीना पार्क के पास कुंडली रोड में जो कॉलोनी सब है शायद वही कंही रहता है ।" 


शालिनी अब थोड़ी सी शांत हुई । उसने मेघा को विक्रम के बारे में बताने के लिए धन्यवाद दिया और फ़ोन रख दिया । 


शालिनी अपने नाइट ड्रेस में ही ऊपर से एक शॉल लपेट घर से निकली । दरवाजे को लॉक किया और नीतू की तलाश में चल दी । इस वक़्त कोई ऑटो मिलना सम्भव नही था । इसलिए वो पैदल ही चलने लगी । रास्ते मे बड़ी मुश्किल से ही कोई आता जाता दिख रहा था । इक्का दुक्का कोई बाइक आ जा रही थी । गली कोचों में कुत्तों की झुंड ही घूम रहे थे ।


शालिनी मेघा के द्वारा बताए पते की और जाने तो लगी थी मगर शालिनी को खुद भी इस पते के बारे में कोई पक्की जानकारी नही थी । रात में ऐसे भी सड़के अनजान सी लगने लगती है । इस सर्दी के मौसम की मार के वजह से सड़कों पे ठंड के अलावा दूर दूर तक अब कोई नही दिख रहा था ।नीतू का मोबाइल अब भी स्विच ऑफ ही आ रहा था । 


शालिनी नीतू की तलाश में न जाने कंहा तक निकल आई थी । समझ नही आ रहा था वो सही रास्ते पर है या गलत । चलते चलते शालिनी एक सुनसान इलाके में जा पहुंची थी जंहा कोई नही था सिर्फ खामोशी और एक लंबी - चौड़ी सड़क जो सीधे काफी दूर तक फैली हुई थी । सड़क के किनारों में खम्बे गड़े थे मगर काफी दूर दूर । उस सड़क पे शालिनी डरती सहमती तेज़ रफ्तार में चली जा रही थी । इतने में सामने से उसे एक लाल रंग की वैन आती हुई दिखाई पड़ी । वैन आयी और काफी रफ्तार से बगल से निकल गयी । शालिनी बस तेज़ कदमो से चली जा रही थी । कुछ दूर चलने के बाद शालिनी को फिर से वही वैन दुबारा सामने से आती दिखी लेकिन इस बार वैन कुछ दूरी पर आकर रुक गयी । ये देख कर शालिनी के कदम भी रुक गए । वैन की हेडलाइट जल भुझ जल भुझ रही थी । शालिनी सहम गयी । उसके माथे पर इस ठंड में भी डर की बूंदे उभर आई । शालिनी धीमे धीमे अपने कदमो को पीछे लेने लगी । वैन अब फिर से शालिनी की और बढ़ने लगी । इधर शालिनी की धड़कन तेज़ हो गयी । वैन को अपनी और आता देख शालिनी पीछे मुड़ कर भागने लगी और पीछे वैन दौड़ी चली आ रही थी । काफी दूर तक वैन ने पीछा किया । शालिनी पहले से ही थकी हुई थी इतने में उसके कदम लड़खड़ा गए और वो जमीन पर गिर गयी । शालिनी हाफ रही थी । 


वैन उसके नजदीक आ कर रुकी । उसमे से दो लड़के बाहर निकले । वो दोनो ज़मीन पर गिरी शालिनी की तरह बढ़े । 


" अरे भाई ये तो कोई 40-45 की आंटी लग रही है.. इसमे मज़ा आएगा क्या ?? " एक ने शालिनी को अपनी आंखों से आंकते हुए अपने पार्टनर से बोला । 

" अरे बिल्कुल आएगा । इतनी लडकिया पे** है किसी औरत या आंटी का मौका नही मिला था । ऊपर वाले ने वो भी दे दिया । आज इसे भी जवानी याद दिला देंगे । " दोनो बदमास आपस में फुसफुसा रहे थे और उनके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी । दोनो एक ही सिगरेट को आपस में बदल कर गुस्त लगते हुए बोले । फिर सिगरेट को निचोड़ कर ज़मीन पे फेका और अपने पैरों तले कुचल दिया ।


शालिनी की सांसे अभी भी फूली हुई थी । वो अब भी गहरी सांसे भर रही थी । उन दोनों ने शालिनी को पकड़ लिया । शालिनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी । 

"छोड़ो मुझे जाने दो .. मेरे साथ ऐसा मत करो ।"शालिनी उनसे गुहार करने लगी । 


"अरे कैसे छोड़ दे । तुम तो हमारा प्रसाद हो तुमको खाए बिना कैसे छोड़ दे पता है कई दिन हो गए थे प्रशाद खाए । " दोनो बदमाश हवस भरी बाते करने लगे ।


" भाई जल्दी से इसे वैन में डालते है चलो । कंही कोई देख न ले । फिर उस पीछे वाले खाली मैदान में जाकर इसको खाएंगे ।। " उन दोनों में से एक ने अपने पार्टनर को बोला । इन दोनों में कितनी नीचता भरी पड़ी थी । एक 40 वर्षीय महिला को खाने अर्थात बलात्कार करने की बाते कर रहे थे । 


शालिनी अपनी पूरी ताकत लगा कर खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी । एक ने उसके मुह को दबाए रखा था और दूसरा उसे उसके दोनो टांगो को उठा कर ले जाने को था । शालिनी को समझ मे आ गया था कि उसे अपनी इज़्ज़त खुद ही बचानी पड़ेगी इससे पहले कि वो दोनों शालिनी को जबदस्ती वैन में डाल कर कंही ले जाये उसे कुछ करना पड़ेगा वरना आज बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा उसके साथ । 

शालिनी के जेहन में एक बात चल रही थी । वो बात जो बचपन मे उससे उसके पिता ने कही थी ।


"मैं हमेशा तुम्हारे साथ नही रहूंगा तुम्हे बचाने के लिए । 

कोई तुम्हे बचाने आएगा ऐसी उम्मीद रखने से अच्छा है तुम खुद अपनी रक्षा करना सीखो.. और जो तुम्हे अपना शिकार बनाने की कोशिश करे उनपे प्रहार करो । "


शालिनी के पास मोबाइल था वो चालाकी से नज़रे बचा कर अपने हाथो को पीछे रख मोबाइल के बैक कवर को खोलने लगी जिसके नीचे एक 3इंच की छोटी सी मगर बहुत ही तेज़ धार वाला चाकू था । जो वो अपनी सेफ्टी के लिए हमेशा से उसमे रखी रहती थी । और आज उसी हथियार को इस्तेमाल में लाना था । 


इससे पहले की वो लोग शालिनी को वैन में डाल पाते शालिनी ने पूरा जोर लगा कर अपने पैरों को झटक दिया और अपनी लात से उस सामने वाले लड़के को पीछे गिरा दिया । उसके पीछे खड़ा बदमाश जिसने शालिनी के मुह को दबाए हथेली से दबाए रखा था शालिनी ने उस चाकू से उसी हाथ पर जोर से वार किया जिससे वो पीछे हो गया और  

फिर शालिनी तेज़ रफ़्तार में अपने पीछे मुड़ी और उस चाकू से उसके गले को रेत दिया । लेकिन इससे वो मरा नही बस दर्द में चिल्लाने लगा । लेकिन शालिनी ने हिम्मत बनाये रखा और सीधे उसके गर्दन पर चाकू से वार किया और लगातार घोपने लगी । एक ही जगह पर चाकू को लगातार घोपे जा रही थी । जिससे ये बदमाश लगभग मर ही चुका था । 


इतने में पीछे गिरा हुआ बदमाश आकर शालिनी को मारने लगा । दोनो में बिड़त हो गयी। उस बदमाश ने शालिनी पर हाथ उठाया । जिससे शालिनी जमीन पर गिर गयी । उसके हाथ से चाकू भी गिर गया । 


" साली तूने मेरे दोस्त को मारा , अब मैं तुम्हे जिंदा नही छोडूंगा " वो दूसरा बदमाश चिल्लाता हुआ शालिनी की तरफ आया और उसका गला दबाकर मारने की कोशिश करने लगा । वो उसके ऊपर चढ़कर गला दबाने लगा । शालिनी की सांसे उखाड़ने लगी थी । उसने अपने पंजो को उसके मुह पर गड़ा दिया । उसकी आंख पर प्रहार किया जिससे वो बदमाश झिटक कर पीछे उठ खड़ा हुआ । 

शालिनी खासते हुए उठी और उस बदमाश के मैन पॉइंट पर जोर से लात मारी जिससे बदमाश अपने घुटनों पर आ गया । शालिनी ने जमीन पर से चाकू को उठाया और उस बदमाश के चेहरे पर फिर से वार किया । वो चिल्लाकर पीछे गिरने लगा और पीछे हटने लगा । 


क्यों क्या हुआ ? खाना चाहते थे न मुझे ? आओ खाओ !! आओ!! साले हराम** !! 

वहसी दरिंदे !!

शालिनी जोर जोर से चीखने लगी थी । उसके अंदर मा दुर्गा आ गयी थी मानो । शालिनी ने इधर उधर देखा रोड के किनारे कुछ पत्थर पड़े थे । शालिनी ने उसमे से एक भारी पत्थर उठाया और उसे उस बदमाश के चेहरे पर दे मारी । 


पहला वाला तो पहले ही दम तोड़ चुका था दूसरा बदमाश भी वंही दम तोड़ दिया ।। 

इस के बाद माहौल फिर से शांत हो गया । शालिनी भारी सांसे भर रही थी । शालिनी के हाथो में से खून रिस रहे थे । उसके होंठ के कोने से खून बह रहा था । बाल भिखरे हुए थे । शालिनी खुद को बचाने में कामयाब हो गयी थी । 


शालिनी ने बदमासो का कत्ल कर दिया था लेकिन वो जानती थी ये सब उसने अपनी इज़्ज़त और जान बचाने के लिए आत्मरक्षा में किया था । 

लेकिन फिर भी इस घटना से शालिनी की आखों में से आंसुओ की धार निकलने लगी थी । वो वंही सड़क पर बैठ हुकरते हुए रोने लगी ।


इतने में उसका मोबाइल बज उठा जो जमीन में कही गिरा हुआ था । शालिनी ने आवाज़ सुनते ही मोबाइल को ढूढ कर उसे उठाया । कॉल उठाने पर सामने से नीतू की आवाज़ सुनाई पड़ी । 


" हेलो .. मम्मा । सॉरी मम्मा । मेरा फोन बंद हो गया था । मैं कॉल कर नही पाई । टाइम का पता ही नही चला और इतनी देर हो गयी । आप कंहा हो ? मैं घर पर हूँ । मुझे विक्रम और उसके दोस्तों ने घर ड्राप कर दिया है । "


नीतू की इस बात से शालिनी ने आखिरकार चैन भरी सांस ली । उसकी आँखों से अब भी आंसू बह रहे थे । 


" क्या हुआ मम्मा .. आप रो क्यों रही हो ? 

मैं ठीक हूँ मम्मा .. आप किधर हो जल्दी घर आ जाओ प्लीज मम्मा ।। "

नीतू ने कहा । 


शालिनी ने खुद को संभाला । 

" हां , बेटा । मैं ठीक हूं । मैं आ रही हूँ तुरंत ।" शालिनी ने इतना कह फ़ोन काट दिया । 


शालिनी वंहा से उठी । जमीन पर गिरी उसकी शॉल को उसने उठाया । अपनी चाकू को उठाया । अपने आप को थोड़ा ठीक किया , अपने होंठ से रिस कर खून ने जो छाप छोड़ा था उसे साफ किया और शॉल ओढ़ कर वंहा से तेज़ कदमो से घर की तरफ चल दी ।। एक युद्ध लड़ी थी आज शालिनी अपने इज़्ज़त के खातिर अपने जान के खातिर । 


घर पहुंच कर माँ बेटी ने एक दूसरे को गले लगा लिया ।

आखिरकार शालिनी को अब राहत मिली । 


शालिनी की हालत को देख नीतू ने परेशान हो कर पूछा तो उसने सबके सामने सच बताना सही नही समझा और एक बहाना बना दी कि रास्ते मे गिर गयी थी इसलिए चोट आ गयी । 


" सॉरी मम्मा .. वेरी सॉरी । मेरी वजह से आप कितनी परेशान हो गयी । " नीतू ने शर्मिंदगी जाहिर की । 

विक्रम और बाकी दोस्त जो नीतू को घर तक छोड़ने आए थे वो गुड नाईट कहकर चले गए । 


अगली सुबह लोकल न्यूज़ पेपर में एक ख़बर छपी थी ।

" एरो द्राम रोड पर 2 युवक की लाश मिली है किसी ने इनको जान से मार दिया । किसने और क्यों इसका कोई पता नही चल पाया न ही कोई सबूत मिल पाया कि खूनी कौन था । "


शालिनी ये खबर पढ़ रही थी और फिर सोचने लगी । अगर मैने अपने आप को नही बचाया होता तो आज खबर कुछ और ही होती कि " एक 40 वर्षीय महिला सड़क पर पड़ी मिली जिसका बलात्कार कर बदमाशो ने उसे सड़क पर फेंक दिया "।


इतने में नीतू आयी और शालिनी के कांधे पर हाथ रख दी । 

शालिनी अचानक से चौक उठी । 

अरे क्या हुआ मम्मा ..? मैं हूं ।। 

नीतू ने कहा । 

नही कुछ नही ..। शालिनी अपने आप को शांत कर बोली।


क्या सोच रही थी ? नीतू ने पूछा । 

इस पर शालिनी ने कहा , " मैंने तुम्हारे लिए एक अच्छी सी कोच खोज ली है जो तुम्हे सेल्फ सेफ्टी यानी आत्मरक्षा की शिक्षा देंगी । हर एक लड़की को आज इस शिक्षा की शक्त जरूरत है ताकि वो अपने ऊपर आये मुसीबत से खुद की रक्षा करने में सक्षम हो सके ।  

एक बात याद रखना बेटा , " कोई तुम्हे बचाने आएगा ऐसी उम्मीद रखने से अच्छा है तुम खुद अपनी रक्षा करना सीखो.. और जो तुम्हे अपना शिकार बनाने की कोशिश करे उनपे प्रहार करो । " यही आत्मरक्षा है ।। 



आप ठीक कहती हो मम्मा । मैं ये शिक्षा जरूर लूँगी ।। नीतू खुशी खुशी मान गयी ।। 





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