sushant mukhi

Inspirational

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sushant mukhi

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अभिमान

अभिमान

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नीलेश रिसेप्शन में दाखिल हुआ और वंहा बैठी रिसेप्शनिस्ट से जानकारी ली

"जी,, मैं नौकरी की तलाश में आया हूँ मुझे पता चला कि यंहा इंटरव्यू हो रहे है । "

"जी हाँ ,, आप अपना बायो डेटा यंहा सबमिट कर दीजिए और वंहा इंतेज़ार कीजिए बारी बारी से सबका इंटरव्यू होगा ।"

नीलेश ने अपना बायो डेटा जमा कर दिया और पास के सोफे पर बैठ अपनी बारी के आने का इंतेज़ार करने लगा । रिसेप्शनिस्ट ने सभी बायो डेटा को बॉस के केबिन में ले गयी और वंहा रख कर बाहर आ गयी ।नीलेश की हालत काफी खराब थी। वो इस चिंता में था कि यदि नौकरी न मिली तो फिर क्या करेगा । पहले ही कितने जगहों से रिजेक्ट हो चुका था अगर आज भी रिजेक्ट हो गया तो ... ??

वो बहुत ज्यादा फिक्र में था । उसकी आंखें चिन्ता में डूबी हुई थी । उसका होलिया उसकी परेशानी और चिंता को जाहिर कर रहा । लगभग एक घण्टे से नीलेश बैठा हुआ था । वंहा दो - चार और भी थे जो इंटरव्यू देने आए थे । धीरे धीरे सब इंटरव्यू दे कर जाने लगे । आखिरकार उसका नंबर आया और वो अपने चहरे का पसीना पोछ अपने को थोड़ा सरया कर केबिन में दाखिल हुआ।

"क्या मैं भीतर आ सकता हूँ ?" 

"जी, जरूर ।"

जैसे ही नीलेश भीतर गया सामने बैठे शख्स को देख उसके होश उड़ गए थे । उसकी आँखें खुली रह गई और वो स्तब्ध था । 

"राजू ,,, तुम.. "

"बैठ जाओ नीलेश .." 

नीलेश चुपचाप कुर्सी पर बैठ गया ।नीलेश अपने कॉलेज के दिनों को याद करने लगा । एक वक़्त राजू और नीलेश एक साथ एक ही कॉलेज में एक ही कक्षा में पढ़ते थे । राजू एक गरीब लड़का था मगर हमेशा पढ़ाई में लगा रहता था । जबकि नीलेश एक रहीश बिज़नेस मैन का बेटा था इसलिए सिर्फ मौज मस्ती में व्यस्त रहता अपने दोस्तों के साथ ।आज एक परिस्थिति थी जिसमे राजू अपने जीवन मे एक अच्छे स्थान पर था जबकि नीलेश दर बदर दो पैसे कमाने के लिए ठोकर खाता फिर रहा था । नीलेश को खुद में शर्म महसूस होने लगा था ।

"तो..तुम यंहा जॉब इंटरव्यू के लिए आए हो .. ज़रा देखू तुम्हारा बायो डेटा ।"

"वैसे तुम्हे जॉब की क्या जरूरत है!!?? तुम तो रहीश बिजनेसमैन के एक लौते औलाद हो ! बंगला, गाड़ी , कारोबार सब है तुम्हारे पास । फिर आज मेरे ऑफिस में काम मांगने कैसे आ गए ।"

नीलेश दो पल ख़ामोश रहा और फिर कंहा ,

"दरअसल पिताजी को बिज़नेस में बहुत बड़ा नुकसान हुआ । पिताजी बिज़नेस के नुकसान को सहन न कर सके । उनको सदमा बर्दाश न हुआ और उनकी मृत्यु हो गई । बंगला , गाड़ी सब नीलाम हो गया । माँ की भी तबियत खराब रहती है आजकल । बहुत जगह घूमा मगर कंही किसी ने काम नही दिया । किसी ने कंहा कि तुम को काम का अनुभव नही है , किसी ने कहा तुमने कुछ सीखा नही है , किसी ने कहा कि यदि होगा तो कॉल किया जाएगा । इस तरह मुझे कंही नौकरी नही मिली अब तक । क्या मुझे यंहा नौकरी मिल सकेगी? मुझे इसकी सख्त जरूरत है । नीलेश ने याचिका करते हुए कहा ।

याद है नीलेश कॉलेज के दिनों में जब मैं तुम्हे तुम्हारी आवारगी , पैसो की बर्बादी और घुम्मक्कड़पने के बारे में टोकता था तो तुम कैसे मेरी बातों पर हँसते थे और मेरा मज़ाक बनाते थे । जब मैं काम काज सीखने, कंही कोई काम करने की बात करता था तो तुम कहते थे कि " नौकरी नोकर लोग करते है हम जैसे लोग बिज़नेस करते है । वैसे भी मेरे बाप के पास इतना पैसा है कि सारी जिंदगी कुछ न भी करू तो आराम से बैठ कर खा सकता हूँ ।" 

कैसे तुम्हारे जन्मदिन के पार्टी में तुम्हारे रईस दोस्तो ने मेरे कपड़ो का, मेरी गरीबी का मज़ाक बनाया था और तुमने भी उन्हें रोका न था । मैंने उसी दिन से ठान लिया था कि मैं ज़िन्दगी में इतनी मेहनत करूँगा की कामयाबी को खुद मेरे कदमो में सर झुकाना पड़ेगा । और आज तुम मेरे दर पर बैठे हो मुझसे दया की भीख मांगने । क्या हुआ? सारे पैसे खत्म हो गए ??"

राजू ने नीलेश को पुरानी घटना याद दिलाते हुए उसपर तंज कसा । 

"मुझे माफ़ कर दो राजू.. मैंने बहुत गलतियां की है । तुम्हारा अपमान किया था , अपने पैसो का घमंड दिखाया था , समय का गलत उपयोग किया मगर अब मुझे मालूम चल गया कि वक़्त , पैसा और इंसान की कद्र करना कितना जरूरी होता है । झूठा अभिमान और पैसो का घमंड एक न एक दिन टूट ही जाता है और जब टूटता है तो उसपे सवार व्यक्ति को अर्श से फर्श पर ला फेकता है ।"

नीलेश बहुत मायूस और बेबस था । उसे लगा कि उसे यंहा से चले जाना चाहिए क्योंकि वो इस लायक नही की राजू उसकी मदद करे ।नीलेश वापस जाने को हुआ ।मगर राजू ने उसे रोका । नीलेश इस दुनिया मे रहना है तो काम काज मेहनत मजदूरी करना ही पड़ता है । वक़्त का सही उपयोग कर खुद को काबिल बनाना अवश्यक होता है । ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए कुछ कहना मुश्किल है इसलिए कभी किसी का मज़ाक मत बनाओ न किसी चीज़ के लिए अभिमान करो । यदि तुम इस सच्चाई को जान चुके हो और यदि तुमने सबक ले लिया है साथ ही तुम वादा करते हो कि तुम पूरी ईमानदारी के साथ मन लगाकर काम करोगे तो मैं तुम्हे एक मौका दे सकता हूँ इंसानियत के खातिर और एक ही कॉलेज में सहपाठी रह चुके है इस खातिर भी । लेकिन ये काम नही बल्कि कोई दूसरा काम । पहले काम सीखो और फिर ईमानदारी से काम करना । इतना सुनते ही नीलेश की आंखे छलक पड़ी । वो राजू के पैरों पर जा गिरा ।उसने राजू को कोटि कोटि धन्यवाद किया । 

राजू ने उसे सीने से लगा लिया और उसे अपने पास काम पर रख लिया ।


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