चड्डी-बड्डी
चड्डी-बड्डी


हेलो,
हेलो,
हाँ बे क्या हो गया ..? कुछ लोचा वोचा हुआ है क्या?? जल्दी बता कहां आना है ??
लोचा .. ? नहीं तो.. काहे का ?
अबे तो इतने कॉल काहे किया ?? सात मिस्ड कॉल है ।
ओह हाँ .. अरे भाई वो हमको मार्केट जाना था, चलेगा क्या ?
मार्केट.. क्या करने?
अबे चड्डी फट गया है मेरा.. एक भी ठीक नही रहा। दो-चार ठो ले लेंगे सोच रहे। चलेगा क्या??
साला, इधर कोरोना से सबका हालत ख़राब है, रास्ता में नाकाबंदी चल रहा, ज़िन्दगी झंड हो गया है तुम को अपना चड्डी का पड़ा है !!?? पुलिस का डंडा चड्डी पे ही पड़ेगा अभी घर से निकला तो।।
हमको लगा कि क्या हो गया पता नहीं इतना कॉल किया है कोई बहुत जरूरी बात होगा। नहाने घुसे थे कपड़ा भी नहीं पहने टॉवल में खड़े है। धत्त...।।
अबे जरूरी नहीं क्या?? तुम को क्या पता फटा चड्डी का दर्द। भाई चल न चल।
हमको डंडा नही खाना है पिछवाड़े पे..तुम ही जाओ।
अबे चल न भाई चल .. कुछ नहीं होगा। चल तुमको भी दिलाते है चड्डी।
दस मिनट में पहुंच रहे है दोस्त के लिए जान हाज़िर है।।
चल ठीक है ..।।
(मन में )
हमको अच्छे से पता है भाई फटे चड्डी का दर्द। जेब मे फूटी कौड़ी नहीं। इतने दिन से तो खुद बिना चड्डी के जीन्स पहन पहनकर जांघ छिल गए मेरे। आख़िरकार बहुत दिन बाद चड्डी पहनने का मौका मिलेगा। साले को चार चार ख़रीदवाऊंगा ..।।