Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

4.7  

Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

भूख का अर्थशास्त्र

भूख का अर्थशास्त्र

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ट्रेन में सोने जा रही थी की देखा सामने की बर्थ पर बैठे एक लड़का मेरी तरफ टुकुर टुकुर देख रहा था।

मैंने बिलकुल casually उसे पूछ लिया,"खाना खा लिया?"उसने इंकार में सिर हिलाया।मैंने कहा,"अरे,सोने का समय हो गया है।तुम खाना क्यों नहीं खा रहे हो?" उसने कहा,"मेरे पास तो खाना ही नहीं है।"मैंने कहा,"तुम जल्दी जाओ, पैंट्री में खाना अभी मिल जाएगा।जाकर खरीद लेना।"उसका धीरे से जवाब आया,"मेरे पास पैसे भी नहीं है।"मेरा माथा ठनका।मैंने उसे फिर ढेर से सवाल किये।"तुम्हे कहा जाना है? तुम्हारे साथ कौन है?और तुम यहाँ अकेले क्यों हो?"वगैरा वगैरा।

लेकिन लड़का भूखा बैठा था और उसे भूखे पेट कैसे नींद आएगी? यह सोचकर मेरी नींद गायब हो गयी।मैंने कहा,"चलो,मेरे साथ पैंट्री में।अभी कुछ खाना बचा हो सकता है।"हम दोनों गए।पैंट्री वाले से खाना लेकर मैंने पूछा, "कितना हुआ?" और पैसे देने लगी।साथ ही मैंने कहा, "ये लड़का ऐसे ही भूखा बैठा था।मैं अभी सोने ही जा रही थी।इसलिए इसको लेकर आ गयी।अच्छा हो गया कुछ खाना मिल गया otherwise मैं सो नहीं पाती।"उन्होंने पूछा,"क्या ये आपके साथ नहीं है?"मैंने कहा, "अरे नहीं,ये तो ऐसे ही बैठे था।"

उस खाने के 86 रु बनते थे लेकिन मेरी बात सुनने के बाद पैंट्री वाले ने ये कहते हुए की कुछ पूण्य हमे भी कमाने दीजिये सिर्फ 50 रु ही लियें।

शायद अच्छाई भी contegeneois होती है।वह जो एक दूसरे की सोहबत में बढ़ती जाती है।

मुझे लगा की अच्छाई की कीमत 86 रु है और भूख की कीमत सिर्फ 36 रु है।

आपका गणित क्या कहता है?


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