भाड़े का हत्यारा : भाग १
भाड़े का हत्यारा : भाग १


विल सिटी, उत्तरी भारत की सिन सिटी या पाप की नगरी, लेकिन ये शहर मेरे लिए सोने की खान साबित हुआ। शहर की बाहरी आबादी में स्थित आर्ट स्टूडियो मेरे असली काम का मुखौटा था, ये बात सही है कि मैं कॉलेज में सबसे बेहतरीन पोर्ट्रेट आर्टिस्ट था। लेकिन आर्टिस्ट के नाम से तो मैं यहाँ भी मशहूर था, विल सिटी के अंडरवर्ल्ड के मूसा गैंग के लिए मैंने उनके राइवल गैंग के अनगिनत लोगों को कॉन्ट्रैक्ट लेकर मारा था। सारे कॉन्ट्रैक्ट और किलिंग की फीस मै ऑनलाइन लेता था। मुझे कॉन्ट्रैक्ट में सिर्फ टारगेट की लेटेस्ट फोटो और मेरे केमैन टापू के बैंक में मेरी मनचाही रकम जमा चाहिए थी उसके बाद टारगेट को अधिक से अधिक एक सप्ताह में ही मै मार डालता था। टारगेट को मारने के लिए उसकी डेली एक्टिविटी को देखकर ऐसी प्लान बनाता था कि टारगेट को उसके अंजाम तक पँहुचा कर मै सही सलामत अपने स्टूडियो में आ जाता था। जब मै किसी व्यक्ति का पोर्ट्रेट बना रहा होता था वो व्यक्ति सोच भी नहीं सकता था कि मेरे दिमाग में किसी को मारने की प्लान बन रही होती थी। हर कत्ल के लिए मेरा हथियार और प्लान अलग होती थी यहाँ तक की मै प्रत्येक क़त्ल के बाद मै अपना हथियार और लैपटॉप नष्ट कर देता था और कार किसी दूर दराज के शहर में जाकर बेच देता था।
प्लानिंग का महत्व मुझे १३ साल की उम्र में ही पता लग गया था। सुरेश वो इंसान था जिसने मात्र १३ साल की उम्र में मुझे ये अहसास दिला दिया था कि तुम हर चीज से भाग नहीं सकते कभी न कभी उस चीज का सामना तुम्हें करना ही होगा, लेकिन इसके लिए एक अच्छी प्लानिंग की जरूरत भी होती है। सुरेश क्लास ८ में मैथ का टीचर था जो उन स्टूडेंट्स को बहुत पीटता था जो उससे ट्यूशन नहीं लेते थे।
छह महीने जानवर की तरह मार खाने के बाद आखिर मैंने उसका सामना करने का निर्णय लिया और उसके अत्याचार की सजा खुद देनी तय की। उस दिन मै स्कूल के बाद सीधे घर न जाकर स्कूल से लगे उस बगीचे में जाकर छिप गया जहाँ से सुरेश अपने स्कूटर पर अपने घर जाता था। स्कूल यूनिफार्म उतार कर मैं सादे कपडे पहन चुका था, हाथों में सर्दी वाले चमड़े के ग्लव्ज़ पहन लिए थे। जब मैंने उसे आते देखा तो चेहरे पर होली के दौरान मिलने वाला मुखौटा पहन लिया और पास पड़ी टूटी हुई ईंट उठा ली और जैसे ही वो नजदीक आया मैंने उसके चेहरे का निशाना लेकर ईंट पूरी ताकत से फेंकी। ईंट उसके चेहरे पर जा लगी और वो जोरदार तरीके से स्कूटर से गिरा और मैं वहाँ से भाग निकला।
वो एक हफ़्ते बाद जब अपनी टूटी नाक लेकर स्कूल आया तो वो एक डरा हुआ इंसान था उसके बाद उसने पूरे साल क्लास या स्कूल के किसी बच्चे को नहीं मारा।
मेरी इस जीत के बाद भी अति उत्साही न बना, मैं खामोश रहा। इसके बाद जिस इंसान ने भी मेरी बेइज्जती की या मेरा हक़ छीना तो मैंने उसे शांत रहते हुए अचानक हमला कर उसके अंजाम तक पहुँचा दिया। कालेज में एन. सी. सी. इस लिए ली की मैं हर प्रकार के हथियार को चलाना सीख लेना चाहता था, क्योंकि मेरी आने वाली जिंदगी में हथियारों की जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण था।
कालेज ख़त्म करते-करते मैं कई लोगों को लगभग मौत के करीब पहुँचा चुका था, लेकिन अब समय था अपने इसी हुनर को अपना प्रोफेशन बनाने का। इस प्रोफेशन को चलाने के लिए मुझे टारगेट चाहिए थे जो सिविल सोसाइटी में तो मिलने नहीं थी इसलिए मै अपराध नगरी विल सिटी में आ बसा था।
मैंने आर्टिस्ट के नाम से एक साईट बनाई जिसमें मैंने लोगों को पैसे के बदले उनके दुश्मनों को ठिकाने लगाने का ऑफर दिया। एक महीने तक कोई नहीं आया लेकिन एक महीने के बाद मुझे जिसे ठिकाने लगाने का काम मिला वो एक दादा था और हर समय बहुत ही खतरनाक लोगों से घिरा रहता था। मुझे मेरा मौका दो हफ्ते बाद मिला वो भी उसके एक मुकदमे की सुनवाई के बाद कोर्ट के बाहर सड़क पर आया तब मैंने अपनी कर की खिड़की से सायलेंसर लगी लॉन्ग रेंज की रायफल से उसकी छाती में गोली मारी, वो स्प
ॉट पर ही मर गया। इसके बाद मेरे पास काम की कमी न थी।
लेकिन अब लगने लगा था कि पुलिस और गैंगस्टर मुझसे परेशान हो चुके थे और मुझसे छुटकारा पाने को बेताब थे, हालांकि अब तो जो लोग मैंने मारे थे वो सभी समाज के लिए खतरा थे, लेकिन या तो पुलिस इस खूनखराबे से परेशान थी या मूसा गैंग के खिलाफत वाले गैंगस के हाथों में खेल रही थी।
कहीं पढ़ा था कि जो हथियारों के दम पर जीते है वो हथियारों से ही मारे जाते है, और इस फील्ड में पाँच साल तक जिंदा रहना बहुत बड़ा काम था; तो अब रिटायर होने का टाइम आ गया था। मै इस शहर से निकलने के लिए अपना सब कुछ समेट चुका था तभी साईट से एक अलर्ट आया, किसी नाबालिग लड़की का रेप हुआ था और उसका पिता उसके रेपिस्ट को मरवाना चाहता था और उसे शक था कि रेपिस्ट और उसका परिवार उसकी बेटी की हत्या कर सकते थे। इसके एवज वो मुँह मांगी रकम देने को तैयार था।
अजीब बात थी कि इससे पहले आज तक ऐसी रिक्वेस्ट नहीं आई थी, कहीं कोई ट्रैप तो नहीं था? मैंने जिंदगी में कभी भी दिल की नहीं सुनी थी, दिमाग कह रहा था ट्रैप है दिल कह रहा था, दिमाग की न सुनो नहीं तो एक मासूम की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। पहली बार दिल दिमाग पर हावी हुआ और मैंने बिना पैसा लिए विक्की देव को मारने का कॉन्ट्रैक्ट ले लिया। इस धंधे से किनारा करने में अभी कुछ दिन और बचे थे।
कॉन्ट्रेक्ट देने वाला गुमनाम था लेकिन थोड़ी जाँच-पड़ताल के बाद मुझे जानकारी मिली कि विक्की नाबालिग था उसने अपने ही स्कूल की कई लड़कियों के साथ दुराचार किया था लेकिन लड़कियों के माता-पिता ने सामाजिक कारणों से कभी उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की थी। शहर के बहुत ही ताकतवर राजनीतिज्ञ का बेटा था, लेकिन इन बातों का मुझपर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता है, कॉन्ट्रैक्ट में ले चुका था और उसे पूरा करना जरूरी था।
पूरे तीन दिन विक्की की दिनचर्या से पता लगा की वो अकसर विल सिटी क्लब जाता है; जो शहर से पाँच किलोमीटर दूर था और उस समय उसके साथ केवल एक सिक्योरिटी गार्ड होता है। रात को १० बजे विक्की क्लब से शराब के नशे में धुत्त निकलता है, उसी समय उसे मारे जाने का सबसे उचित समय था।
आज भी हमेशा की तरह मेरे पास नई सेकंड हैंड कार थी, मैंने विक्की और उसके गार्ड को भीड़ के साथ क्लब में जाते देखा, मैंने कार क्लब के सामने की सड़क पर खड़ी कर ली, रायफल पर टेलिस्कोप और सायलेंसर फिक्स किया। रायफल पैरो के पास रखकर मै विक्की के क्लब से बाहर निकलने का इंतजार करने लगा। धीरे-धीरे अँधेरा बढ़ता गया और तभी एक कार सड़क के दूसरी तरफ आकर रुकी और तीन कद्दावर लोग मेरी कार की तरफ बढे। मुझे खतरे का अहसास हुआ, मै कार आगे बढ़ाने वाला ही था की उन तीनों में दो मेरी कार के सामने आ गए और एक ने मुझे कार से बाहर खींच कर रायफल भी बाहर निकाल ली।
"क्राइम ब्रांच, बहुत मुश्किल से कब्जे में आया तू........लड़की के रेप वाला ड्रामा काम आ गया; इतने कत्ल किये है, पक्का फाँसी चढ़ेगा।" उनमें से एक हथकड़ी निकालते हुए बोला।
मैं मुसीबत में था, दो पुलिस वालो ने मुझे पीछे से पकड़ा हुआ था और एक हथकड़ी का लॉक खोल रहा था। तभी वो हुआ जिसके मुझे उम्मीद न थी। सामने की एक बहुत बड़ा ट्रक बेकाबू होकर लगभग हमारे ऊपर चढ़ते हुए मेरी कार से जा टकराया। दो पुलिस वाले ट्रक की चपेट में आकर हवा में उड़ गए और मै भी तेजी से कूदकर सड़क की खंती में जा गिरा। मै काँटों की झाड़ी में गिरा था लेकिन मुझे काँटों की परवाह नहीं थी, मै उछल कर खंती से बाहर आया और अँधेरे में भागा। तभी दो धमाके हुए और दो गोली मेरी पीठ में आ लगी, मै दर्द से बिलबिलाते मुँह के बल गिरा, लेकिन गिरने का अंजाम पता था मुझे इसलिए अपनी सारी ताकत को बटोर कर खड़ा हुआ और अँधेरे में भाग निकला।
मैं जिंदगी और मौत की दौड़ दौड़ रहा था, मुझे पता था कि जल्दी ही मुझे मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला तो शरीर से बहता खून मुझे मार डालेगा।