Mrugtrushna Tarang

Romance Crime Thriller

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Mrugtrushna Tarang

Romance Crime Thriller

बाँस की डलियाँ - ६

बाँस की डलियाँ - ६

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वो भी न बनता। ग़र, सुजेन ने उसे न ठुकराया होता।जवानी की मूँछें तलवार जैसी पतली सी धार लिये फूट पड़ी थी। मूँछो को ताव देता हुआ वो सुजेन से अपने दिल की बात बताने ही तो वो गया था, हाईस्कूल में।और, लड़कपन को बेवकूफ़ी बताकर सुजेन ने सबके सामने जोसेफ का मज़ाक उड़ाया था।


"जिसके न बाप का पता और न जात का! वो मुझसे, सुजेन इम्रोहि से इश्क़बाजी करेगा!शक़्ल तो देखनी थी जोसेफ तुमने एकबार आईने में। कहाँ तुम और कहाँ मैं। अपना कोई मेल नहीं। न कभी होगा। मैं पढ़ लिखकर अफ़सर बनना चाहूँगी। "


"और तुम, तुम तो शायद कुछ भी बनना पसंद न करोगे। क्यों!?"


जोसेफ का खून खौल उठा। पर पुलिस हेडक्वार्टर के इलाके में खड़ी सुजेन को कुछ न कर सका।पर मन में एक बात जरूर ठान ली थी जोसेफ ने।और उसीको अंजाम देने वो कई हफ़्तों से इंतजाम करने में जुटा रहा।उसका भी उसका ज़ेहन सुजेन को याद कर उसकी ओर की खुदकी एकतरफ़ा मोहब्बत को अपने दिलोदिमाग में खलबली मचाते देखता। झुँझला उठता। कुछ न कुछ करने के लिए उतावला हो उठता। पर मौका न मिलने पर उसकी नफ़रत दिनबदिन बढ़ती ही जाने लगी।


और एक दिन उसे उसके हिसाब का मौका मिल ही गया।आज उसे स्कूल वैन से घर लौट रही सुजेन अकेली ही मिली। और उसने सुजेन को किडनैप कर लिया।सुजेन को लेकर दीव के सबसे पुराने चर्च के पिछवाड़े समंदर किनारे पर ले गया।घनघोर बारिश के चलते टूरिस्ट और लोकल लोगों का आना जाना भी काफ़ी हद तक कम था।अब तक नहीं कहा था, वो सब जोसेफ ने सुजेन को बताना चाहा।और उसने टेपरेकोर्ड में रिकॉर्ड की हुई कैसेट ऑन कर दी।

कैसेट बजने लगी -


इस ओर सुजेन पूरी तरह से होश में नहीं आयी थी। क्लोरोफार्म का असर अब भी उसके दिलोदिमाग पर छाया हुआ था। वो अब भी सिर में भारीपन महसूस कर रही थी।लड़खड़ाते क़दमों से वो उठ खड़ी हुई। पर क्लोरोफार्म के असर के तहत फिर से रेतीली जमीं पर गिर पड़ी।इस बार उसकी फ्रॉक घुटने से ऊपर हो चुकी थी।जोसेफ की बाज की नज़र से वो नज़ारा छिपा नहीं। और उसे सुजेन की वो मांसल जांघ लुभाने लगी। अपनी ओर खींचने लगी। उस आकर्षण को जोसेफ झुठला न सका।


और, टेपरेकोर्ड के बदले खुद ही बड़बड़ाने लगा। 


"सुजेन,माय लव, तुम्हारी खूबसूरती और नजाकत की जितनी तारीफ की जाये कम होगी। तुम बला की खूबसूरत हो। प्रिटी हो। मुझे बहोत ही, हद से ज्यादा पसंद हो।

और,मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ। हमेशा हमेशा के लिए अपना बनाना चाहता हूँ।उस दिन भी यही कहने के लिए आया था।"


ये कहते हुए जोसेफ के चहरे पर गुस्से से दो चार रेखाएं तन गई। तंग रेखाओं को नॉर्मल न कर पाने के लिहाज में जोसेफ ने सुजेन को दो चार थप्पड़ रसीद कर दिए।थप्पड़ की चोट से सुजेन की बड़ी-बड़ी रसीली आँखों से मोती-सरीखे आँसू की बूंदें टपकने लगी। लाचार सी वो इधर उधर देख हेल्प माँगने की कोशिशों में लगी रही। पर, उस वीराने में उसे कोई नज़र नहीं आया। उसने समझौता करना ही मुनासिब समझा। और जोसेफ से कोम्प्रोमाईज़ करने के अंदाज़ में माफ़ी मांगने लगी।


"जोसेफ, आई एम सॉरी यार। मैं, मैं अपने दोस्तों के बहकावे में आ गई थी। और तुम्हें न जाने क्या क्या कहती रही। प्लिज़ मुझे माफ़ कर दो।"कहते हुए सुजेन ने हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी। और गिड़गिड़ाते हुए बहोत कुछ बड़बड़ाने लगी।


जोसेफ का प्यार भरा दिल पसीज गया। और वो सुजेन के करीब गया। उसके गोरे गुलाबी गालों को सहेलाने लगा। उसकी जांघ तक ऊपर उठी फ्रॉक को ठीक करने के बहाने से उसे छूने लगा।सुजेन लपककर उठ खड़ी हो गई। ख़ुदको नॉर्मल करते हुए जोसेफ का मन डाइवर्ट करने के साथ साथ आसपास का मुआयना भी करने लगी। कि, वो जान पाए कि, उसे कहाँ से हेल्प मिल सकेगी।


सुजेन को इधर उधर झाँकता देख जोसेफ की आँखें गुस्सा उगलने लगी।और आव देखा न ताव वह आननफानन में सुजेन पर लपक पड़ा।बेफिक्र सुजेन संतुलन कायम न रख पायी। और लड़खड़ाकर गिली रेत में धँसती चली गई।बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा। ये सोचकर सुजेन ने जोसेफ को गले लगा लिया।



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