खरा सोना
खरा सोना
केशवापुर के शेषन ने बनारस यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन का कोर्स करके ऑस्ट्रेलियाई कॉलेज में बतौर जर्नलिस्ट का एडवांस कोर्स करना चाहा।
यहाँ वहाँ से रुपये जुटाए। और स्कॉलरशिप लेकर शेषन ऑस्ट्रेलिया पहुँचा।तक़रीबन ढाई - तीन साल के कोर्स के दौरान शांत और एकचित्त होकर पढ़ने वाले शेषन पर काफ़ी ऑस्ट्रेलियन लड़कियाँ फ़िदा थीं।
लेकिन, शेषन, अपनीं हैसियत न भूलते हुए अपनी पढ़ाई में ही मगन रहने लगा। सिर झुकाए डिपार्टमेंट में आता, खामोशी से सारी क्लासेज अटेंड करता। किसी से भी ग़ैरज़रूरी बात करना उसकी फ़ितरत से बाहर की चीज़ रहतीं। और फिर किसी लड़की से बात करनी भी पड़ती तो बिना उसकी ओर देखें, नज़रें झुकाएं जल्दी से बात खत्म करता और अपने काम में लग जाता।हमेशा से वह उसकी सफ़ेद रंग की साइकिल पर आता। घुंघराले भूखरे बाल, चहेरे पर फेविकोल सी चिपकी हुई हल्की सी शर्मीली मुस्कान केश्ला के मन को सुहाती थी। और शेषन का उसके या किसीके भी काम में हद से ज्यादा शिस्तब्द्ध होना, केश्ला को उसकीं ओर आकर्षित करने लगा। उसे देखकर हर कोई ऐसे ही सोचते थे कि भारतीय मानस में ऐसा ही लड़का हर घर में होता होगा। और इसीलिए भारत देश की संस्कृति के मुकाबले कोई नहीं आ सकता। केश्ला सोचने लगी थी कि अगर वो उसका जीवन साथी बन जायें तो उससे अधिक भाग्यशाली और कोई नहीं होगा!!
कोर्स ख़त्म होने को था। पार्ट टाइम जॉब करते शेषन को अपनी अंग्रेज़ी सुधारने का मौक़ा भी मिल जाता था। और कुछ पैसों का जुगाड़ भी सम्भल जाता था।उसी दौरान केश्ला नामक एक क्लासमेट ने शेषन से दोस्ती की। और वीकेंड्स में शेषन का हाथ बंँटाने उसीके रेंटेड हाउस जाने लगीं। शेषन पार्ट टाइम जॉब के साथ वीकेंड्स में होम मेड इंडियन फूड्स सप्लाय का काम करके अपना खर्चा पानी निकाल लेता था। ताकि, अपने पेरेंट्स पर बोझ न बन सकें।
शेषन का स्वाभिमानी स्वभाव केश्ला का उसकी ओर आकर्षित होने का एक और कारण बना।
दोस्ती प्यार में कब तब्दील हो गई दोनों में से किसीको पता न चला।केश्ला, धर्म से क्रिश्चन थीं। जबकि, शेषन, कट्टरपंथी हिंदुत्व को मानने वाले परिवार से था।केश्ला के पेरेंट्स को शेषन बतौर कूक पसंद था। लेकिन, अपनीं बेटी के हसबंड के रूप में नॉन क्रिश्चन होने पर ऐतराज़ था।और उनकीं शर्त ये थी कि, शेषन अगर क्रिश्चियन बन जाता है, तो उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं।
शेषन को केश्ला के क्रिश्चियनिटी पर कोई ऐतराज नहीं था। उसके विचार में ईश्वर एक ही है। हर एक धर्म इंसानियत ही सिखलाता है। तो, केश्ला अगर क्रिश्चियन धर्म अपनाते हुए हिन्दू धर्म का सम्मान करती है तो दो धर्मों का मिलन बढ़िया उदाहरण बनेगा उनकें बच्चों के लिए और दुनिया के लिए भी।
इसी खयालातों के तहत, शेषन ने अपने परिवार वालों से केश्ला और अपने प्यार एवं शादी के बारे में बातचीत की।शेषन का आख़री सेमिस्टर चल रहा था। और कर्ज़ भी चुकाना शेष था। शेषन के माँ बाप ने उनकीं शादी को रजामंदी देने से इनकार कर दिया। दोनों का एकदूजे के साथ रहने का सपना उन्हें एक 'ना' से चकनाचूर होते दिखाई देने लगा।अपितु, दोनों ने पेरेंट्स की रज़ामंदी के बगैर शादी न करने का अपना वचन भी निभाया।
कुछ हफ़्ते यूँही बीत गए। केश्ला को शेषन के उच्च विचारों ने उसे ही अपना जीवनसाथी बनाने का खुद का निर्णय गलत5 न लगा। और उसनें अपनीं तक़दीर को आज़माने का फ़ैसला कर लिया। और उसीके चलते,केश्ला ने अपनेआप को बदलना आरम्भ किया। शेषन के माता पिता को कन्विंस करने के लिए केश्ला सौ फीसदी हिन्दुत्व को अपनाने के लिए इस्कॉन मंदिर में आना जाना शुरू कर दिया। संस्कृत भाषा का अभ्यास करना भी आरम्भ कर दिया। उसके संलग्न एक्जाम्स भी दिए। और आज का ये दौर था कि, शेषन और उसके मातपिता से ज्यादा केश्ला संपूर्ण शाकाहारी एवं हिंदुत्ववादी बन चूकी थीं।
केश्ला के सच्चे हिंदुत्ववाद को जानकर अपने बेटे की खुशी के तहत शेषन के मातपिता ने केश्ला को अपना लिया। और हिंदुस्तान आकर हिन्दू रीत रिवाज़ों से केश्ला और शेषन की शादी हुई।
कुछ वक्त ससुराल में बिता कर केश्ला को अपने देश लौटना पड़ा। और शेषन का भी अपनीं पढ़ाई के तहत केम्पस इंटरव्यू में से बढ़िया ऑफिस में सिलेक्शन हो गया।दोनों हँसी खुशी ज़िंदगी जी रहे थे। शादी के सात साल बाद भी केश्ला को जब औलाद नहीं हुई तो रीत रिवाज अनुसार शेषन की दूसरी शादी की बातचीत उसके भारत वाले घर में होने लगीं।शेषन के लाख मना करने पर भी उसके मातपिता ने शेषन से केश्ला को डिवोर्स देने की बात छेड़ी। पर शेषन नहीं माना।
तो, राजपूत घराने के रिवाज़ अनुसार शेषन की तलवार और दुल्हन की चुनरी का ब्याह रचाया गया। और लड़की के माँ बाप ने शेषन की दूसरी पत्नी को ऑस्ट्रेलिया भेजने की तैयारियाँ आरम्भ कर दी। लेकिन, शेषन को उसकी भनक तक लगने नहीं दी।एरपोर्ट से जब शेषन के ऊपर कॉल आया तो वह देहाती राजपूताना दुल्हन को लेने एयरपोर्ट पहुँचा।सारे मामलात पर गौरतलब करने पर केश्ला ने पुलिस में कम्पलेंट लिखवाई। तब जाके सारा मामला सामने आया।
शेषन के पेरेंट्स के ख़िलाफ़ कोर्ट केस फाइल हुआ। और एक बीवी के रहते दूसरा ब्याह गैरकानूनी पुरवार हुआ।और, आज के आधुनिक युग में केश्ला और शेषन एक के बदले दो भिन्न रिलीजियन के बच्चों को गोद लेकर उनका पालनहार बन खुशहाल जीवन बिता रहे हैं।और, देश में, शेषन के मात-पिता को सबक़ सिखलाने के पश्चात केश्ला ने उनसे कोई बैर भाव न रखकर अपने साथ रहनें का न्यौता भी दिया।एवं, ऑस्ट्रेलिया आने की व्यवस्था भी करवा दी।
पछतावे के अश्क़ बहाते हुए शेषन के पेरेंट्स अब हँसी खुशी इस मल्टी रिलीजियन जॉइंट फैमली में ख़ुशगवार ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।और अपने पोते पोती को खरे सोने की कहानी सुनाते थकते नहीं है अब।
जो जोड़े वो है खरा प्यार,
जुड़कर संभले वो है संसार।
भूल करे वो इन्सान,
और माफ़ करे वो भगवान।

