Mrugtrushna Tarang

Tragedy

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Mrugtrushna Tarang

Tragedy

बेतकल्लुफी

बेतकल्लुफी

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एक ज़माने में पहले पहले प्यार के क़िस्से सुनाने की खनक सी उठती थी। बस उसी के चलते झलक ने अपने पहले प्यार को प्यारभरा खत लिखा।

फिर क्या था! लिखे हुए खत को उसके मक़ाम तक पहुँचाना भी जरूरी था।तो,उसने फ़िल्मी अंदाज़ में अपनी सहेली के ज़रिए अपने प्यार को लिखा हुआ पहला खत सहेली के हाथों प्यार तक पहुँचाने की कोशिश की।और,उसकी वो कोशिश ग़लत पते पर जा पहुँची।


खत का मज़मून पढ़े बग़ैर ही झलक के दिल पर अपनी चाहत की दस्तक़ दे मारी। और नतीज़न झलक के घरवालों को उस गलतफहमियां नागवार सी न लगी।आननफानन में झलक का रिश्ता उस दस्तक़दार से तय कर दिया।मरती क्या न करती? झलक ने अपनी चाहत को आवाज़ लगाई। बगल वाली खिड़की में रहते उसके प्यार ने उस दर्दभरी आवाज़ को न सुना और झलक हफ्तेभर में पराई हो गई।

हनीमून पर झलक के शौहर ने उससे अपने नाम आई चिठ्ठी का ज़िक्र किया। और झलक की राय जाननी चाही।झलक औंधे मुंह रोती रही पर कुछ न कह पाई।पति होने के अपने हक़ को अदा करने के नए नए अंदाज़ वो शौहर अपनाने लगा। पर झलक के मन में बसे पहले प्यार को मिटा न सका।

कुछ वक्त यूँही बीतता चला गया। झलक को मनाने, बहलाने के चक्कर में शौहर का अपने काम पर ध्यान बंटता गया। ऑफिस में भी बॉस की डांट फटकार सुन शौहर ने उस दिन घर न जाने का फ़ैसला किया।


देर रात तक घर न लौटने पर झलक के सास ससुर ने अपने बेटे के बारे में झलक से ऊँची आवाज़ में पूछताछ की।साल भर से झुँझलाती झलक को आज मौक़ा मिल गया था मानो। उसने अपना गुबार ससुरालवालों पर निकालने का मन बनाया ही था कि उसका शौहर घर लौटा।बेटे को थका हारा देख उसके मातपिता बहु के ख़िलाफ़ बहुत कुछ अनाप शनाप बोलने पर उतारू हो गए।


बॉस की बकबक और अपनी पत्नी की बेमन सी चाहत के चलते शौहर अपने मातपिता के सामने फूटफूटकर रोने लगा।अपने बेटे को रोता बिलखता देख सासु से रहा न गया और किचन में थाली परोस रही बहू को अँगीठी में रखें जलते हुए कोयले से आग लगा दी।बहू की चीत्कारें सुनकर शौहर मदद करने उसकी ओर लपका। पर अपनी माँ की गुहार के सामने झुक सा गया।


पहले प्यार को न पाने की सज़ा... या अपने ही मातपिता के उतावलेपन की सज़ा...या अपने शौहर की जायज़ डिमांड को दिल से पूरा न कर पाने की सज़ा...झलक ने अपने 21वें सालगिरह पर अपनी जान गँवाकर भुगती।और झलक के हस्तलिखित पत्र को फ्रेम में मढ़कर उसके मातपिता आँसू बहा रहे हैं छुपछुपकर।मेरे पहले प्यार को मेरा प्यारभरा नमन,


नमन,

हम आपसे बेइंतहा प्यार करते हैं। अपने माँ और बाउजी से थोड़ा कम। क्योंकि, उनके प्यार का कोई तौल माप नहीं है इस जहां में।लेकिन, हम वादा करते हैं आपसे की हम आपके मातपिता को भी उतना ही मान सम्मान और प्यार करेंगें।बस, आप हमें अपना लीजिए और हमारे हो जाइए। जैसे कि हम आपके हो चुके हैं।हाँ, एक और बात, हमारे मातपिता की रज़ामंदी से ही आप और हम एक हो सकते हैं।तो, आप अपने मातपिता के साथ हमारे यहाँ रिश्ता लेकर आइयेगा।हम आपका इंतजार करते हैं।


आपकी ही झिल्ली.


नमन नाम के स्थान पर सहेलियों ने मिलकर मज़ाकिया अंदाज़ में नयन लिख दिया,और नमन के बदले नयन के घर ख़त पहुँचा दिया।जिसकी सज़ा झलक उर्फ़ नमन की झल्ली को भुगतना पड़ा।

दूसरी ओर,अपनी झल्ली को दूसरे की होते न देख पाने के ग़म में नमन ने अपना ही क़िस्सा ख़त्म कर दिया साधुत्व अपनाकर।दो प्यार करने वाले दोस्तों की बेतकल्लुफी का शिकार बन गए।



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