Mrugtrushna Tarang

Comedy Fantasy

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भूतों की अदालत

भूतों की अदालत

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हिमाचल प्रदेश के गुंटूर गाँव के महादेव मंदिर की बगल में भूखंड के भीतरी छोर पर स्थित काल भैरवनाथ के टीले पर भैरवाष्टमी के दिन मध्य रात्रि में जागरण करने तथा करवाने की एक प्रथा सदियों से चली आयीं है।और जागरण करने, कराने और करवाने वाले होते हैं भूत प्रेतों के गुरू।


ऐसी ही एक रात थी जब भूतों की अदालत बुलवाई गई। भूतों का पंचनामा भी हुआ और असील एवं मुअक़्क़ील की ओर से एक एक वकील भी नियुक्त किये गए। जज साहब भी भूत प्रेत बाधा निवारक बुलवाए गए।


रेशमी वस्त्र धारण करके टीले पर खड़ी उस स्त्री का केस चल रहा था। भूत पिशाच को भगाने वाले और प्रेतात्माओं से बातचीत कर समझौता करवाने वाले गुरुजी ने उस स्त्री को आवाज़ लगाकर पूछा -


"तुम्हारा नाम क्या है? कौन सी जाति के हो? कौन से पेड़ से आये हो? इस शरीर में रहने के प्रति तम्हारा मकसद क्या है? क्यों इसे परेशान कर रहै हो?"


पूछे गए सवालों के बारी बारी से जवाब देबे के पश्चात अपने पर हुए अत्याचारों का हिसाब माँगते हुए वह स्त्री की आवाज़ बिल्कुल भी मर्दाना हो गई।


अपने आशय की गिनती करते वक्त बरगद के पेड़ के एक एक पत्तों से कहकहों की गूँज सुनाई देने लगी। वहाँ खड़े सभी लोग थर थर काँपने लगे।कईओं की तो रूह तक काँप उठी जब, भूत प्रेत योनि के पिशाचों की आँखों से रक्त बहने लगा। तो, पतझड़ में टूटकर बिखरने वाले फूल और पत्तों की तरह कईओं की अंतड़ियों के टुकड़े यहाँ वहाँ बरसने लगे।अपने ऊपर गिर रहे उन रक्तरंजित अंगों से उगल रही वो बदबूदार हवा भी घिन्न उपजाती थीं।


वकीलों एवं जज इन सभी कार्यो से वाकिफ़ थे लेकिन, उस स्त्री के साथ आये नए लोगों के लिए ये सब बिल्कुल भी अपेक्षित नहीं था। और तो और दूसरों के मामलों में साक्ष्य बनें लोगों को भी एक तरह से कुछ भी अंदाजा नहीं था कि आखिरकार यहाँ मामला रफादफा होता कैसे है, और तो और दलीलें कैसे रखी जाती है और जज साहब सुनवाई कैसे करते हैं? या सज़ा के तौर पर क्या और कैसी कैसी सज़ाएँ सुनाई जाती है!!


बहरहाल,उस मध्य रात्रि जब उस स्त्री के देह में डेरा जमाए बौठे उस रघवीर जोगिंदर उर्फ जग्गा के भूत ने उस स्त्री को अपने कब्जे में कर लिया और उससे वो सारी चीज़ें करवाता रहा जो एक मर्द करता है। शौचालय में न् जाते हुए सरेआम शौच करने से भी वह भूत न शरमाया।


और, तो और हद ही कर दी, जब, उस भूतने सर्दी के मौसम में गर्माई हुई कमीज़ को उतार फैंकने की हरकतें करते हुए ये पुरवार कर दिया कि वह अपने पिछले जन्म का ही नहीं आने वाले सातों जन्मों का बदला चुकाने उस औरत में रहकर बेढंगेपन की हद पार करके उसका जीना दुश्वार कर दिया। और अब हालात ऐसे थे कि वह औरत न रही पूरी तरह से स्त्री और नाही रह पाई मर्द।


जज साहब के फैसले को नकारते हुए वह भूत जज के ही भीतर जाकर उधम मचाने लगा। कुर्सियों पर चढ़ उतरकर सबको परेशान करता रहा।


गुरुजी के हाथों एक के बाद एक ऐसे कई डंडे खाने से भूत प्रेत वचन देकर कोने में लगे पेड़ की आखरी टहनी के आखरी पत्ते में अपनेआप को जानबूझकर कैद करवाते हुए सिसकियाँ भरने लगा।


उसके ज़ख्मों को कुरेद कुरेदकर उसमें नमक भरने वाले उसके अपने ही खून के प्यासे हो गए थे। यह जानकर, वह भूत उस स्त्री का जीना दूभर कर रहा था, जो एक ज़माने में उसकी अपनी बीवी थी।


स्त्री ने अपने शौहर की रूह से माफ़ी माँगकर अपने सातों जनम सुधार लिये।



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