Mrugtrushna Tarang

Tragedy Crime

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बाँस की डलियाँ - १४

बाँस की डलियाँ - १४

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जोसेफ फादर फ्रेंको सालों से औरतों की दौलत पे नशा, मज़ा, और मौजमस्ती करने की लत लगा चुका था फ्रेंको गोंजाल्विस। वो उसके आख़री समय तक दिल से तो जवान ही था।पर एक दिन उसके दिमाग़ ने उसे धोखा दे दिया। एक ही दिन में कई कई बार संभोगरत होने के लिए नाइट्रोग्लिसरीन जेल का इस्तेमाल करता था। वो ही दवा उसके दिमाग के लिए घातक बन गई।औरउसकी साइड इफेक्ट्स का सबसे पहला नमूना कि, वो रोज़ी, उसकी बीवी को ही न पहचान पाया।औररोज़ी भी फ्रेंको को कभी न पहचान पाई। क्योंकि, फ्रेंको ने यूएस जाकर प्लास्टिक सर्जरी करवाकर अपनी शक़्ल ही बदल डाली थी।


और,तक़दीर देखो।रोज़ी, दीव छोड़कर पूरी दुनिया छोड़ छन्दनपुर ही गई।अपने भगोड़े पति के पास।जो, नकली फादर बनकर चर्च में रहता था। अपनी ज़िंदगी के आख़री पल गिनते हुए।रोज़ी के बेटे जोसेफ को लॉर्ड येशू की मसीहियत पढ़ाते वक्त फ्रेंको को कुछ कुछ शक़ हुआ था, कि, जोसेफ का नाजायज़ बाप वो खुद ही होगा।पर, यक़ीन न कर पाया। और, अन्जाने में येशू के कन्फेशन बॉक्स में अपने गुनाहों को कहानियों के रूप में अपने ही बेटे को नए नए आइडिया सिखाता गया।टिनेज के कोमल दिमाग़ को वायग्रा की लत लगा दी।औरएक नया फ्रेंको गोंजाल्विस, नई तकनीक के साथ तैयार हो गया।


फ्रेंको के जो जो दिल ने चाहा था, पर डर के मारे कभी कर न सका। वो सब जोसेफ करता चला गया।येशू की पढ़ाई के दरम्यान इस्तेमाल होने वाली कैंडल्स में कम मात्रा में थैलियम पोइज़न के ड्रॉप्स डले हुए रहते। जिसकी खुशबू दिलोदिमाग को सुन्न कर देती।औरउसके बाद दिल जो सोचता। दिमाग उसीको फॉलो करता। और साधन यानी कि, शरीर उसका पालन करता। हिप्नोटिज्म के चलते।मॉर्डनाइजेशन के चलते जोसेफ फ्रेंको, अपने बाप से तीन क़दम आगे निकला।

बाप ने जिस लड़की को यूज़ किया। और यूज़ करने के लिए ब्याह रचा। संसार बसाया। और उक्ता जाने पर अचानक ही वहाँ से गायब हो जाता।

नए शिकार की तलाश में। नए चहेरे और नाम के साथ।जबकि,जोसेफ,इस्तेमाल की हुई लड़कियों का ही नामोनिशान मिटा देता था।'न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।'और इस्तेमाल की गई चीज़ों के ऊपर बाँस की डलियाँ लगाना उसके कैरेक्टर को रिप्रेजेंट करेगा, अगर वो दो ग़ज़ जमीं के नीचे से ऊपर उभरकर आ गई तो!!


एसीपी शिवा ने जोसेफ - 'मिशन बाँस की डलियाँ' केस अपने सीनियर्स के सामने पूरा खोलकर रख दिया। और जोसेफ को रंगे हाथों पकड़ने के लिए अपना आख़िरी प्लान बताकर 'शूट एट साइट' का ऑर्डर भी हाँसिल कर लिया था।


दूसरी ओर,जोसेफ को ये नहीं पता था कि, इतने सालों की उसकी कलमकारी, कलाकारी और इंटेलीजन्ट एक्टिविटी को एसीपी शिवा सोमवंशी और cbi टीम उससे भी कई गुणा ज्यादा समझ चुके थे।और,उन्हीं के जाल में वो खुद ही फँसने जा रहा था।छन्दनपुर से ऋषिकेश अपने पहले गुरु के शरण में जाने की जोसेफ की कुबुद्धि उसे हैवन के बदले जीते जी ही हैल के दर्शन करवाने आतुर बैठी थी शायद'वो कहते हैं न् कि, जब गीदड़ की मौत आती है तो वो शहर की ओर भागता है।'बस, ऐसा ही कुछ हुआ जोसेफ के साथ।


एक आँख को गँवाकर उसकी अक़्ल आधी हो गई थी शायद से। जो भी सोचता, उसका अमूमन रिज़ल्ट भी आधा ही मिलता। यानी कि, सौ फ़ीसदी सही नहीं उतरता था पहले की तरह।ऋषिकेश के लक्ष्मण झूले के पास वाली कुटिया में अपने ठहरने का इंतज़ाम फ़ोन द्वारा पहले ही करवा चुका था जोसेफ।

इतने सालों बाद भी शिष्य गौरकः ने फटाक से जोसेफ की आवाज़ को पहचान लिया। और उसके लिए अद्यतन किस्म का सबसे अलगाव बनाये रखने में सरलता रहे ऐसा एक कॉटेज ही बुक कर लिया।जोसेफ निश्चिंत था ऋषिकेश में अपने ठहरने के गुप्तवास के लिए।जोसेफ ने नकली आँख लगवाते समय ही अपना नया रूप धारण कर लिया था। मि. टॉसिन लोबो।अघोरी बाबा।लोगोंकी समस्या ब्लेक मैजिक से चुटकी में दूर करने वाला।स्पेशयली,बांझ औरतों की समस्या।लक्ष्मण झूले के उत्तरीय इलाके में कुटिया के पीछे वाली गुफ़ा में बांझ औरत ने अपने पति के साथ ही बाबा से मिलने का।और बाबा उस कपल पर ब्लेक मैजिक करके औरत की गोद भर देंगें।जोर शोर से प्रचार हुआ। औरतों का तांता लगना शुरू हुआ। कपल्स भी आने लगे।

बाबा ने अपने पसंद की औरत चुनना आरंभ किया।मनपसंद औरत का इंटरव्यू भी लिया गया। और उनमें से एक को चुना गया।अमावस्या की रात को ढाई बजे वो कपल खंडहरनुमा गुफ़ा में पहुँचा।बांझ पत्नी ने बाबा से बिनती करते हुए कहा -


"मुझे हर समय, हर जगह शोर क्यों सुनाई देता रहता है बाबा? इस शोर का कुछ कीजिये बाबा।"


बाबा टॉसिन लोबो का ज्ञान प्रकट हुआ -"देवी, शोर अपने दिमाग़ में होता है। उसे स्विच्ड कर दो। फिर कभी भी, कहीं भी और कुछ भी तुम्हें परेशान नहीं करेगा।"प्रणाम करते हुए कपल ने बाबा द्वारा दी गई सूचनाओं का पालन करना आरंभ किया।और दूसरे ही पल पति - पत्नी दोनों भभूति सुंघते ही बेहोश हो गए।तब,खूबसूरत पत्नी को अर्ध नग्नावस्था में बाबा के जरिये गुफ़ा के भीतर ले जाया गया।और,पति बेचारा कुटिया में ही बेहोशी के आलम में बच्चे की किलकारियों के सपने देखता रहा।


बिकिनी वेश धारण करने वाली नारी पर अपनी सम्मोहनविद शक्ति का प्रयोग करने जा रहे जोसेफ उर्फ टॉसिन लोबो को औंधे मुँह लटकना पड़ा।

वो भीनकली पति बने एसीपी शिवा सोमवंशी के हाथों।"खेल खत्म हुआ आपका बाबा टॉसिन लोबो।"जोसेफ को बेहोशी में ही नेशनल हाईवे नंबर दस पर अधमरी सी हालत में छोड़ दिया गया।जहाँ वो दोनों ओर से आने जाने वाली गाड़ियों से टकराकर बेमौत मारा गया। अपने गुनाहों की फ़िल्म देखते देखते।।



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