Mrugtrushna Tarang

Horror Crime Thriller

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Mrugtrushna Tarang

Horror Crime Thriller

बाँस की डलियाँ - १३

बाँस की डलियाँ - १३

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जोसेफ की दूसरी कमज़ोरी -

जिस किसीने उसे जैसे चिढ़ाया। उसने उसको वैसा ही जवाब रसीद कर दिया।

फिर, फिर वो सुजेन से, अपने पहले प्यार से मैरिज भी तो करना चाहता था।

पर उसने तो उसका इन्सल्ट ही कर दिया।

वो भी सबके सामने !

तो, 

वो मैं, जोसेफ ही शिकार और जोसेफ ही गुनहगार कैसे बन गया? बोलो!

यूँ तो न जाने जोसेफ सुजेन को छुटपन से जानता था, पहचानता भी था। 

रोज़ उसे स्कूल के बगल वाली गली के नुक्कड़ से आते जाते जो देखता था। सिर्फ उसे ही देखने आता और बिना कुछ कहे चला भी जाता। उसकी एक झलक का दीवाना था वो।

सुजेन से मैरेज का पक्का वाला प्रॉमिस लेकर अच्छा और सच्चा इन्सान बनने के लिए जीतोड़ मेहनत करने का इरादा था उसका। 

क्योंकि उसे बैरिस्टर बनना था। सिर्फ और सिर्फ सुजेन को खुश रखने के लिये। सुजेन को अमीरों की ज़िंदगी देने के लिए।

जोसेफ का मानना था कि, सुजेन की वो गहरी, नीली, समंदर के लहरों सी चंचल फिर भी खामोश आँखों में उसे सच्चाई झलकती थी। उफ्फ़! दिल धड़कना ही भूला देती थी वो आँखें। 

और,

फिर वो उसका मखमल-सा जिस्म, वो संगेमरमर से तराशी हुई सी लचकती कमर, हैय, हैय मरजांवा। और वो देशी गुलाबी सुर्ख होंठ जिनपर से किसी की भी नज़रे हटना नामुमकिन सा था। 

उसे लगता था कि, एक बार, बस एक बार उन रसीले होंठों के जाम को वो पी लें। फिर मौत भी आ जाये तो कोई ग़म न था उसे।

इतनी खूबसूरती को तनबदन में आग लगाने में कितना वक्त लगता था भला! तो लग जाती थी आग।

और,

वो सारी हूर परियाँ ख़ुद से अपनाने को, या छू लेने को राजी न होती थी। 

तो, जोसेफ फिर क्या करता!?

एक पुजारी से उसकी पूजा ही छीन ली जाए तो पुजारी मरने मारने पर आमादा तो होना ही था।

और जोसेफ ने भी तो वो ही किया था।

बस,

अंदाज़ ए बयां कुछ अलग था। शायद बहोत ही अलग था। पर लाचार भी तो उतना ही था वो। अपने नाजायज़ बाप की तरह!

एसीपी शिवा ने जोसेफ का पूरा केस सायकोलीजिकली एक्जामिन किया था। उस पर रिसर्च किया था। उसे एक थीसिस और लाइव प्रोजेक्ट की तरह ट्रीट भी किया था। 

तभी तो तक़रीबन सातसौ सतत्तर (७७७) पेजिस का केस स्टडी करने में उसे सात साल लग गए थे। 

जोसेफ की हर एक हरकतों को बेनाम से इन्सान की शक़्ल और उसके अन्दाज़ को जोड़तोड़ कर एक नई शख्सियत उभरती। 

उसे उसके तरीके से सोचता और उसका अगला क़दम क्या होगा। या वो अब क्या सोचता होगा। ये सब डिटेलिंग की स्टडी करने की स्पेशयल टेक्निक एसीपी ने अपने से हाँसिल की थी।

तब जाके वो जोसेफ की परछाइयों तक पहुँच पाया था। बस अब उसकी असली परछाई को मुठ्ठी में कसने भर की देर थी।

जो उसके बाप ने उसकी माँ के साथ किया था। बार बार लगातार करते ही जाता था। जोसेफ के पैदा होने के पहले से लेकर उसके पैदा होने के बाद तक का उसके बाप का यही एकमात्र लक्ष्य ही यह रहा था।

बालिग हो या नाबालिग़ किसी भी लड़की को उसके छुअन से बचना असंभव था। और जो बच गया उससे उसने शादी, निक़ाह, या मैरेज करके फ्री का साधन बनाया।

इस्तेमाल करता वो उस औरत का पैसा, रुतबा, घर, शरीर और दिमाग़ भी। सिर्फ़ अपने फायदे के लिए।

और

जब जब, जहाँ जहाँ ख़तरा महसूस होता वहाँ से भाग जाता। लेकिन, किसीको भी मारता नहीं था।

क्योंकि, वो क्राइम से डरता था। पुलिस की मार से डरता था। इसलिए, हर एक शहर में उसकी कई सारी बीवियाँ थी। और उन बीवियों से जन्मे वो बच्चे। जिनको माँ और बाप दोनों मिले, पर बाप का असली नाम और उसका अस्तित्व कभी न मिला।

ऐसे ही बच्चों में से एक था जोसेफ।

जोसेफ रॉबर्ट सेहरी।

उर्फ

जोसेफ फ्रेंको गोंजाल्विस।

मदर - रोज़ी गोंजाल्विस रोड्रिक्स।

फादर - नाजायज़ बाप - एक भगौड़ा। 

जो अपनी बीवी को प्रेग्नेंट करके उसकी सारी जमापूँजी लेकर उड़न छू हो गया।


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