Mrugtrushna Tarang

Inspirational Others

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Mrugtrushna Tarang

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हौंसला अफ़ज़ाई

हौंसला अफ़ज़ाई

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"बीस इक्कीस की उम्र क्या पा ली तुमनें, लिहाज़, लाज, शर्म सब बेच आया क्या बाजार में!?"

"क्या हुआ? इतने क्यों भड़क रहे हो हम पे?"

"अरे वाह! उल्टा चोर कोतवाल को डन्डे!"

"अरे भई, कुछ पल्ले पड़े वैसा बोलो ना! ये क्या बिना सिर पैर की ठोके जा रहे हो!"

"अच्छा तो अब तू हमें सिखाएगा! हमें, पचास साल के अनुभवियों को!!

...आईने में शकल देखी है क्या अपनी!"

एक समूह में हो रही 'तू तू मैं मैं' की बहस को सुनकर श्रोतागण सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर माजरा क्या था? क्यों और किस विषय पर् उनकी बहस इतना तूल पकड़े हुए थी। पर कोई कुछ सोसह समझ पाता तब तक तो, बीस इक्कीस का वो अपना आपा ही खो बैठा।

आव देखा न ताव, टूट पड़ा सब पर। और कहर बरपा। सबके सब पतझड़ी पुष्पों की भाँति टपकने लगें। किसीको कोई सुराग, सुभा नहीं मिला। कुछ समझने के अंतराल में तो एक एक कर सारे सृष्टि में लावा फैल सा गया और खिलते, खिलखिलाते फूल भी उगने के पूर्व ही मुरझाने लगें।

बीस इक्कीस के उस कहर ने सबको अपनी अपनी औक़ात बता दी। वैसे तो ये कहर उसने बीस उन्नीस से ही आरम्भ कर दिया था।

लेकिन, नादां समझकर किसीने उसे इतनी तवज्जो नहीं दी थी। बस,

उसीका नतीजा था कि वो बीस उन्नीस अपना बीस बीस खा गया। मगरमच्छ की तरह निगल गया। या यूँ कहो, एनाकोन्डा की भाँति निगलता चला गया। और पतझड़ी पत्तों से सारे बर्बस एकदूसरे को ही कोसते रहें कि, किसकी ग़लती का ये जुर्माना वसूला जाने लगा था उन्हें!!और अब,

आज, बीस इक्कीस अपने कहर को नए रूप में लाने की जद्दोजहद कोशिशों को न्याय दिलाते हुए जा रहा है तीन क़दम पीछे दौड़कर नया आत्मविश्वास भर बीस बाइस बन कल लौटने के लिए।तो, सभी सृष्टि वासियों अपनी कुर्सी की पेटी बांध लो। और नए जोश और उमंग के साथ नई उड़ान भरने के लिए हो जाओ तैयार...ये जानकर कि ,

प्रति 60 वर्षों को कहते हैं संवत्सर। प्रत्येक नाम 60 साल बाद फिर से आता है। साल आम तौर पर *मध्य अप्रैल* में शुरू होता है।

वर्ष 2019-20 का नाम *'विकारी'* रखा गया, जो एक *'बीमारी_वर्ष बनकर अपने नाम पर खरा उतरा! कोविड की शुरुआत 2019 से हुई।

वर्ष 2020-21 का नाम *शर्वरी'* रखा गया, जिसका अर्थ है *अंधेरा*, और इसने दुनिया को एक अंधेरे चरण में धकेल दिया!

अब 'प्लावा' वर्ष 2021-22 प्रारंभ हो रहा है। 'प्लावा' का अर्थ है, *"पार करा देने वाला*।

*वराह संहिता* कहती है:-

यह दुनिया को असहनीय कठिनाइयों के पार ले जाएगा और हमें एक बेहतर स्थिति तक पहुंचाएगा। यानी अंधेरे से प्रकाश की ओर चलने का समय...

वर्ष 2022-23 का नाम *'शुभकृत'* रखा गया है, जिसका अर्थ है कि जो *शुभता पैदा करता है।*

यानी, हम एक बेहतर कल की उम्मीद करते आगे बढ़ने चले।

बिना कोई गैजेट का इस्तेमाल किये अपने ऋषि-मुनियों ने जो ज्ञान बाँटा, बस उनके नक्शेकदम पर बिना हिचकिचाहट के आगे बढ़ो।

बढ़ते चलो।

फ़तेह हमारी ही होनी है।

ये मत सोचो कि,

आज का दिन आखरी है, या

आज की रात आखिरी है।

नए दिन का शुभारंभ पुरानी रात के बाद ही तो होता है।

उस बदतमीज़ी बीस इक्कीस को बता दो, कि,

हम हार मानने वालों में से नहीं हैं।

हमें सिखलाया गया है, कि,

हिम्मत - ए - मर्दा

मदद - ए - ख़ुदा।

हौंसला रखो बुलंद अपना,

की,

एक नया अवतार अवतरित

होने को है तैयार...



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