अस्तित्व
अस्तित्व
अस्तित्व
आज सभी पेड़ों की पांचवी वर्षगांठ मना रहे थे। जिसका श्रेय बच्चों को ही जाता है । बच्चों में अति उत्साह देखते ही बनता था। उन्होंने तो जैसे पूरी धरती को हरा करने की मुहिम छेड़ दी थी। अमित जिसे उसकी दादी ने कहा था, अगर दिन की शुरुआत अच्छी हो तो पूरा दिन अच्छा जाता है । वैसे ही अगर साल की शुरुआत अच्छी हो तो पूरा साल अच्छा जाता है इस बात की तो जैसे अमित ने गांठ ही बांध ली थी।
वाकई में बच्चों से की गई एक भी अच्छी बात, बच्चों की सोच को बहुआयामी बना देती है।
इसी का परिणाम था कि, अमित ने हर उगादी के दिन जो पांच-पांच वृक्ष लगाने का प्रण लिया था वह अब फलीभूत हो रहा था। सड़क के किनारे अब हरियाली से भर उठे थे। चिलचिलाती धूप की तपन तो जैसे शांत ही हो चुकी थी। अब पक्षियों के घोंसले घर के छज्जों में नहीं बल्कि उनके असली घर यानी वृक्षों पर ही बनने लगे थे। हवा में ऑक्सीजन अधिक व कार्बन डाइऑक्साइड कम हो जाने से ताजगी का संचार होने लगा था और पूरा माहौल भीनी- भीनी खुशबू से सरोबार था। वास्तव में हमारे भविष्य (यानि की बच्चे), खुद ही अपना भविष्य उज्जवल बनाने में लग चुके है । वह भली-भांति समझ चुके है कि, उनका अस्तित्व पेड़-पौधों के अस्तित्व के बिना कुछ भी नहीं।
इन समझदार बच्चों के मामले में अब यह कहना बिल्कुल गलत होगा।
पक्षियों को कभी पानी
तो कभी छांव ढूंढते देखा है।
उनके शज़र तो रहे नहीं।
हमारे शजर में घुसते देखा है।