Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

हिन्दी प्रेम

हिन्दी प्रेम

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"आपका बेटा राहुल बहुत ही होनहार है। जब वह अंग्रेजी में बात करता है तो ऐसे लगता है अमेरिकन है, लेकिन जब हिंदी में बात करता है तो लगता है अभी-अभी भारत से आया है। शुद्ध वर्तनी का पूरा-पूरा ज्ञान। इतनी निपुणता!

 हमारे पूरे विद्यालय में आपके बेटे जैसा कोई भी दूसरा छात्र या छात्रा नहीं है।

जहां तक हम जानते हैं आप दोनों नौकरी करते हैं फिर अपने बेटे को समय कैसे और कब देते हैं?"

अभिभावक-शिक्षक बैठक में प्रधानाध्यापिका ने राहुल के माता-पिता से सराहनीय अंदाज में अत्यधिक प्रसन्न मुद्रा में कहा।

"दरअसल राहुल के दादा-दादी..."

"अच्छा अच्छा राहुल के दादा-दादी भी साथ में ही रहते हैं।"

प्रधानाध्यापिका द्वारा बीच में टोकते हुए। 

 "नहीं साथ में तो नहीं रहते, क्योंकि वे अपना पुश्तैनी कारोबार छोड़कर नहीं आ सकते, लेकिन अपने पोते को हर अच्छी शिक्षा भी देना चाहते हैं। अतः राहुल के विद्यालय से घर पहुंचते ही वे राहुल से वीडियो कॉल के माध्यम से जुड़कर उसके सर्वांगीण विकास में लगे रहते हैं और उसको बिल्कुल भी यह एहसास नहीं होने देते कि वह भारत से बाहर कैलिफोर्निया में है। उसे भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और सभी ग्रंथों के माध्यम से लगातार भारत से जोड़े रखते हैं।" 

 "सही कहा आपने उसे ग्रंथों का बहुत ज्ञान है। दरअसल सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अध्यापिका ने ही राहुल को हिंदी व रामायण का अच्छा ज्ञान होने की वजह से अभिनय के लिये राम का किरदार दिया है।

 हमने भी भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर अपने विद्यालय में अगले माह 'ग्रैंड पैरेंट्स डे' रखा है, अच्छा होता अगर राहुल के दादा-दादी भी आ पाते। हम चाहते हैं कि बाकी बच्चे व उनके अभिभावकगण भी इससे प्रेरणा लेकर अपने बच्चों को अच्छे संस्कारों से पोषित करें।"

"जरूर! अगले सप्ताह वे आ रहे हैं। वे भी अपने पोते का अभिनय सामने से बैठकर देखने के लिए लालायित हैं।"

 "इससे अच्छी खबर और क्या होगी हमारे लिए, आपने तो हमारे मुंह की बात छीन ली।"


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