Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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मनमानी

मनमानी

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सौ रुपए में ठहराकर अंजलि ने अपनी सहेली के साथ घर के लिए ऑटो लिया, लेकिन जैसे ही दोनों घर पहुंचीं, ऑटो ने 140 रुपए की मांग की। यह सुनकर दोनों असमंजस में पड़ गई।

अंजलि ने कहा- 'भैया सौ रुपये की बात हुई थी फिर एक सौ चालिस क्यों?'

 'मैडम जी! जब आप द्विचक्रिका वाहन से आती हैं तो एक का सत्तर रुपये होता है, उस हिसाब से आप के एक सौ चालिस बनते हैं।'

 'अगर तीन बैठते तो?' अंजलि ने पूछा ।

 'दो सौ दस बनते।'

  ' क्या? यह नियम कब से बन गया।'

 ' हम ऑटों वालों ने मिलकर बनाया है।'

  ऐसे थोड़े ही होता है। सीमा इसके ऑटो नंबर का फोटो तो लो जरा।'

  'हां, हां! आप मेरे ऑटो नंबर का तो क्या, मेरा फोटो भी ले लीजिए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। जो सही है, वही तो कह रहा हूं।'

 'भैया सही क्या है, और गलत क्या? आपको शीघ्र ही पता चल जाएगा।'


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