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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

4.0  

Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

सच्चाई

सच्चाई

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"भैय्या, आज फिर पूरा दो लीटर दूध फट गया। पहले तो इतना महंगा ऊपर से फटना ऐसा कैसे चलेगा।" 

 "कोई बात नहीं, बहन जी! सभी के यहां फटा है, आप आज के पैसे मत दीजिएगा।"

 "वाह भैय्या! आप तो बड़े ईमानदार निकले। लगता है भ्रष्टाचार की हवा आपको छू कर नहीं गई अब तलक।"

 "छू कर गई थी बहन जी, लेकिन मेरी प्रतिरोधक क्षमता इतनी अधिक थी कि वह मुझे बीमार नहीं कर पाई।"

 "बहुत खूब भैय्या, वैसे क्या कह कर गई थी? वह हवा।"

 "कह रही थी, जब कोई ग्राहक कहे, कि आपका दिया दूध फट गया है, तो कहना बाकी लोगों ने तो कोई शिकायत नहीं कि आप ही हर बार शिकायत करती हैं। बर्तन को अच्छे से धोया कीजिए। लेकिन बहनजी ऐसे झूठ बोल-बोल कर कितना कमा लूंगा।

 फिर इस तरह कमाए हुए पैसों का क्या करूंगा।"

 "आपकी बात सोलह आना सच है भैय्या।"


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