सुलझी सोच
सुलझी सोच
"मैं तुम्हारी जगह होता तो शून्य से कभी नहीं शुरु करता।"
" फिर क्या करते?"
"रवि ने जब 25% तक कार्य करके छोड़ दिया तो मैं उसके आगे से शुरू करता।"
"लेकिन उसके 25% के काम का कोई सकारात्मक परिणाम तो निकला नहीं, फिर उस पर समय बर्बाद करने से फायदा!"
"मैं उसके काम की असफलता का कारण जाने बिना अगर शून्य से शुरू करता हूं तो हो सकता है मैं भी वही गलतियां दोहराऊँ और वहीं अटक जाऊं और मेरा अंजाम भी वही हो।"
"फिर मुझे क्या करना चाहिए?"
"सीधी-सी बात है तुम्हें रवि से बात करके उसके द्वारा किए गए कार्य को समझना होगा। उसकी गलतियों को समझ कर उन्हे
ं तुम्हारे द्वारा न दोहराकर नई सोच से सकारात्मक परिणाम लाने की कोशिश करनी होगी। उसके अनुभवों को अपनी सीढ़ी का हिस्सा बनाना होगा।"
" तुम्हें लगता है वह मुझे अपने कार्य के बारे में बताएगा, वह भी तब जब उससे प्रोजेक्ट छीन कर मुझे दे दिया गया हो।"
" हां जरूर बताएगा क्योंकि अब तुम दोनों मिलकर इस कार्य को अंजाम दोगे।"
"लेकिन मैनेजर महोदय ने तो अभी-अभी प्रोजेक्ट को सीढ़ियां न चढ़ते देख रवि का प्रोजेक्ट मुझे सौंप दिया है फिर मैं कैसे रवि को इसमें शामिल कर सकता हूं?"
"कर सकते हो। अपने मैनेजर को जो भी मैंने कहा है, कह कर देखो जरूर तुम्हारे सुझाव से खुश होंगे।