हल
हल
'दोनों कहां से आ रही हो। एक का रंग खिला-खिला, चेहरे पर ताजगी और वहीं दूसरी का उतरा-उतरा, थका-थका सा, मुरझाया चेहरा।
इतना अंतर किसलिए?'
'मां इसका श्रेय जाता है मार्ग को। जिस मार्ग से होकर मुझे कार्यालय जाना था, वहां हरियाली का एकछत्र राज्य था। धूप की तीक्ष्णता का जरा भी अहसास नहीं हुआ। उल्टा पूरे रास्ते भर ठंडक महसूस हुई।' स्तुति ने जवाब दिया।
'तुम्हारे मुरझाए चेहरे का कारण श्रुति।' बिना रुके पानी पर पानी पी रही श्रुति से माँ ने पूछा।
'मेरे रास्ते पर सिर्फ लकड़ियों के ठूंठ, चिलचिलाती धूप और उड़ती धूल थी। कह रहे थे रास्ता चौड़ा करना है इसलिए सारे के सारे पेड़ काटने पड़े।
माँ अब यह मत कहना, कि ऐयर कंडीशनर गाड़ी में चली जाती। मुझसे यह नहीं होगा। मुझे तो पूरी सड़क ऐ सी चाहिए। जहां ठंडी हवा मेरी सहेली बन मेरे साथ चले। शाखाएं हिले तो मेरे स्वागत में फूल गिरे।'
'अब क्या सोचा है, क्योंकि अब तो उड़ती धूल ही तुम्हारा स्वागत करेगी।'
'जब तक सड़क पहले जैसी हरी-भरी नहीं हो जाती, तब तक दूसरा मार्ग अपनाने की सोची है।'
'और सड़क पहले जैसी हरी-भरी करेगा कौन ?'
''आज ही कुछ एन जी ओ के साथ मिलकर पौधे लगाने की योजना बनाई है।'
'इसीलिए मुझे अपनी दोनों बेटियों पर गर्व है। जो हर वक्त समस्याओं का समाधान ढूँढकर उसे बहुत छोटा कर देती है। '