PRATAP CHAUHAN

Abstract Horror

4.7  

PRATAP CHAUHAN

Abstract Horror

अलमारी का गुस्सा

अलमारी का गुस्सा

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एक दिन सिंकी अपने घर पर कमरे में खेल रही थी। जब वह खेल कर थक गई तो उसने अपनी बॉल को अलमारी में रखना चाहा, लेकिन तभी अलमारी का दरवाजा निकल कर नीचे गिर पड़ा। जिसकी वजह से कमरे में बहुत तेज आवाज आई। सिंकी को लगा जैसे अलमारी उस पर गुस्से में चिल्ला रही हो और कह रही हो:-

अब मत रखो और कुछ भी मेरे अंदर।

तुम्हारे सामान का बजन सहते सहते मैं थक गई हूं।

देखो तो तुम सब ने क्या क्या ठूस के रखा है मेरे अंदर।

हम सब को मेरे पर दया भी नहीं आती।

तब तक वहां रखा सोफा बहुत ही गुस्से में बोला:-

तुम सब लोग हर समय मेरे ऊपर लदे रहते हो।

मेरा दम घुटता है तुम सब और तुम्हारे गेस्ट लोग गंदे गंदे बदबूदार पाद छोड़ते हैं मेरे ऊपर बैठकर।

 फिर भी मैं कुछ नहीं कहता।

यह सब सुनकर सिंकी खबरा गई और वहां से बहुत तेज भागने लगी। वह घबराकर बोली, नहीं मैंने कुछ नहीं किया।

 मम्मी.....बचाओ मम्मी, मुझे बचाओ।

 और फिर सिंकी कमरे से बाहर आ गई।


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