आहत
आहत


मिसेज गुलाटी अपनी बेटी शीतल को समझा रही थी तुम समीर से तलाक लेने की बात किसी के सामने मत कहना शीतल के आंखों में आंसू थे उसने कराहते हुए मां से पूछा क्यों मां समीर मेरे सामने दूसरी लड़कियों के साथ डेट पर जाते हैं रोज शराब पीकर घर आते हैंउसके बाद गाली देना ,मार-पीट करना और कुछ कहने पर उनका जवाब होता है रहना है तो रहो, नहीं तो चली जाओ ।तुम्हारी मेरी शादी एक समझौता है वह भी बेमन का !
शीतल नए जमाने की पढ़ी-लिखी समझदार लड़की थी वह समीर के इस व्यवहार से आहत थी शीतल के पिता ऊंचे कद के नेता थे पार्टी चंदा के लिए अपनी बेटी की शादी बड़े उद्योगपति के बेटे से कर दिए थे घर तो अच्छा था लेकिन समीर बड़े बाप का बिगड़ा हुआ लड़का था दुनिया का कोई ऐसी एब नही था जो उसमें ना हो।
दो-चार दिन में ही शीतल पति के आचरण से वाकिफ हो गई वह समझ चुकी थी की उसकी हैसियत दिल बचलाने वाली गुड़िया की है वह भी जब समीर का मन हो अन्यथा समीर का व्यवहार शीतल के लिए जानवर से भी बदतर होता था। समीर के माता-पिता अच्छे थे लेकिन माँ को आये
दिन सामाजिक समारोहों में अतिथि बनकर जाना होता और पिता बिजनेस के काम से बाहर व्यस्त रहते थे, घर में ऐसा कोई नहीं था जो शीतल की भावनाओं को समझें।
शीतल को लगा मां उसके दिल की बात को समझेगी लेकिन मां ने उसे समीर से समझौता करने कहा तो उसे एहसास हो गया की पिता ने राजनीति की बिसात पर अपनी ही बेटी की बलि चढ़ा दी है और सामाजिक प्रतिष्ठा के दिखावे में मां भी उनके साथ है ।मां के व्यवहार से दुखी शीतल बिना कुछ कहे घर से बाहर निकल गई वह वकील से मिलकर तलाक के पेपर तैयार करवा समीर के लिए भेज दी और शहर के शांति निकेतन में रहने लगी।
रुआबदार नेता की लड़की शांतिनिकेतन में थी शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई अखबारों में अलग-अलग हैडलाइन छप चुके थे कद्दावर नेता की लड़की पति को छोड़कर भाग गई, शादी और धोखा, पूर्व प्रेमी से रिश्ता- टूटी शादी। शीतल अखबारों में ऐसे खबर पढ़कर फिर से आहत थी इन समाचारों से उसे लग रहा था कि मीडिया लोकप्रियता के लिए समाचार को वैसे ही पेश करती है,जैसे झूठी प्रतिष्ठा के लिए लोग रिश्तों को।