Hansa Shukla

Tragedy Classics Inspirational

4.9  

Hansa Shukla

Tragedy Classics Inspirational

गणतंत्र

गणतंत्र

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 अंकिता स्कूल से आते ही मीरा के पैर छूकर उसे गले लगाते हुये बोली माँ 26 जनवरी को मुझे दिल्ली में ncc की ओर से इंडिया गेट में परेड के लिए जाना है मैडम बोली है हम यहाँ से 24 तारीख को ही निकल जायेंगे सवेरे आठ बजे की ट्रेन है आप स्टेशन चलना मुझे छोड़ने के लिये, माँ के कुछ कहने से पहले अंकिता बताने लगी पूरे स्कूल से अकेले मैं जा रही हूँ आज असेम्बली में मैडम मुझे स्टेज में बुलाकर, सभी को प्रार्थना में मेरी उपलब्धि बतायी तो पूरा ग्राउंड ताली से गूँज गया माँ, आप पीली कोठी वाली आंटी को कल ही बता देना की 24 तारीख को मुझे छोड़ने स्टेशन जाना है इसलिए आप काम पर देर से जायेगी। मीरा ने अंकिता के माथे को चूमकर कहा ठीक है मेरी रानी बेटी अब कपड़े बदल लें और कुछ खा ले।

दूसरे दिन मीरा काम पर जाते ही मालकिन से बोली दीदी मैं 24 तारीख को नौ बजे तक काम में आऊंगी मेरी बेटी को छोड़ने स्टेशन छोड़ने जाऊंगी फिर काम पर आ जाऊंगी वो दीदी को बेटी की उपलब्धि बता रही थी कि दीदी मीरा की बात को बीच मे काटते हुए बोली मीरा छोटी को उस दिन जल्दी स्कूल जाना है तू टिफ़िन बनाने जल्दी आ जाना नही तो दो दिन का पगार कटेगा। मीरा मन ही मन सोची दो दिन के पगार से अंकिता के लिये नया जूता आ जायेगा वो कितनी खुश हो जायेगी स्टेशन तो पापा के साथ भी जा सकती है।मीरा घर आकर अंकिता से अपने आँसू छुपाते हुए बोली बेटी तुझे छोड़ने पापा चले जायेंगे मैडम तो छुट्टी देने को तैयार थी लेकिन छोटी मेमसाहब को उस दिन स्कूल जल्दी जाना है और वो मेरे बनाया टिफिन ही ले जाती है इसलिए मैं तेरे को छोड़ने नही आ पाऊंगी अंकिता माँ के आँसू पोंछते हुये बोली माँ हमारा गणतंत्र कब आएगा।


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