बछिया का धन्यवाद
बछिया का धन्यवाद


अनिमेष की कार चौराहे से आगे बढ़ी ही थी कि थोड़ी दूर जाने के बाद सारी गाड़ियो के पहिये रुके हुये थे और लगातार हार्न की आवाज आ रही थी। पास पहुँचने पर पता चला कि गाय,भैस के बीच मे आ जाने से आवाजाही में रुकावट हुआ है। इसके बाद भी कुछ दुपहिया गाड़ी किनारे से निकल रहे थे और रुकी हुई गाडियों में अधिकांश हॉर्न देकर इन मूक जानवरो को हटने के लिए बाध्य कर रहे थे। सभी मवेशी जो रोज उस रास्ते से जाते थे एक लाइन बनाकर रोड पार कर रहे थे। एक छोटी बछिया जो शायद आज पहली बार निकली थी वो हॉर्न की आवाज से कभी आगे- कभी पीछे,कभी दाएं-कभी बाएं भटक रही थी।अनिमेष धीरे-धीरे बछिया के पास गया और इशारे से वाहन चालकों को हॉर्न बजाने से मना किया ,बछिया थोड़ी सामान्य हुई तो उसने उसे सड़क के पार खड़ी उसकी माँ से मिला दिया वह छलाँग लगाते हुये अपनी माँ के पास पहुंच गई और पलटकर अनिमेष को ऐसे देख रही थी जैसे उसे धन्यवाद दे रही हो।
अनिमेष गाड़ी में आकर सोच रहा था काश इन मूक जानवरो के आने-जाने के समय हम बिना शोर किये किनारे से गाड़ी निकाल लें या थोड़ी देर रुक जाएं तो इन्हें परेशान होने से बचा सकते हैं उसे बछिया का वह मौन धन्यवाद वाला चेहरा याद आ रहा था।