छोटा दिल
छोटा दिल


मिसेज मिश्रा से धोबी ने डरते हुये कहा मैडम प्रेस करते समय अचानक मुझे चक्कर आ गया और आपकी साड़ी जल गयी।
आपकी साड़ी कितने की थी मैं धीरे-धीरे किश्तों में आपको साड़ी के पैसे दे दूँगा। मिसेज मिश्रा मन ही मन सोची एक हजार की साड़ी थी इसे दो हजार बताती हूँ, किश्तों में क्या पता कितने महीनों में वापस करेगा? मिसेज मिश्रा ने गुस्से में कहा दो हजार की साड़ी थी हर महीने पाँच सौ रुपये देना और वह जली हुई साड़ी भी वापस कर देना।
धोबी ने डरते हुए कहा-मैडम साड़ी की कीमत तो दे रहा हूँ जली साड़ी मैं रख लेता हूँ। मिसेज मिश्रा रोबदार आवाज में बोली तुम साड़ी की कीमत किश्तों में तो दे रहे हो अगर साड़ी रखनी है तो तीन हजार रुपये देना समझ गये नही तो तुम्हारी दुकान कालोनी से हटवा दूँगी। मैडम के बात को स्वीकार करते हुए धोबी मन ही मन सोच रहा था जली हुई साड़ी को रफू कराकर पत्नी को दीवाली में देता तो वह साड़ी पाकर कितनी खुश हो जाती लेकिन मैडम को तो साड़ी की कीमत के साथ वह जली हुयी साड़ी भी वापस चाहिए सच मे बड़े लोगो का दिल कितना छोटा होता है।