चॉकलेट डे
चॉकलेट डे


सौरभ की कार लाल बत्ती के सिग्नल से चौराहे में रुक गई वह चॉकलेट डे में रुचि के लिये चॉकलेट बॉक्स लेकर जा रहा था। अचानक उसकी नजर बच्चों की टोली पर पड़ी जो गाड़ियों के रुकने पर सामान बेचने का प्रयास कर रहे थे, या भीख मांग रहे थे, मैले कुचले कपड़े और बेतरतीब बिखरे बाल में उन मासूम बच्चों को देखकर सौरभ ने गाड़ी सड़क किनारे रोक ली और उन्हें बुलाकर बॉक्स से चॉकलेट देने लगा। उसने सभी गुब्बारे खरीदकर उन बच्चों में बाँट दिया बच्चे उसे चॉकलेट वाले भैया कह रहे थे। सौरभ बच्चों के निश्छल मुस्कान को देखकर सोच रहा था उसका सबसे अच्छा चॉकलेट डे आज सेलिब्रेट हुआ।