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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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कोई मुश्किल समझता है,

किसी को आसान लगता है।


ज़िन्दगी की परिभाषा,

सभी का अपना अपना है।


कोई संघर्ष करता है,

कोई आराम करता है।


नसीबों का खेल है सब,

सभी कोई चखता है।


कोई कर्म करता है,

कोई धर्म करता है।


जितना मिलना है झोली में,

उतना जरूर मिलता है।


कोई सपना समझता है,

कोई अपना समझता है।


जैसी जिसकी जरूरत है,

रिश्ता वैसा ही रखता है।


किसी की गर्ज़ है अपनी,

किसी का कर्ज है हमपे।


जरूरत मर्ज है ऐसी,

जो दुनिया को चलाता है।


कोई मुश्किल समझता है,

किसी को आसान लगता है।


ये दुनिया का दस्तूर है,

निभाना सभी को पड़ता है।


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