में और मेरी तन्हाई
में और मेरी तन्हाई
में और मेरी तन्हाई अक्षर ये बातें करते है,
हम दो होकर भी अपनो में अकेले रहते है
भीड़ में होकर भी एक दूजे के साथ चलते है,
जो लोगो से ना कह सकु,वो अपनी तन्हाई से कह लेते है
दर्द दिल मे छुपा , तन्हाई से बाट लिया करते है,
खुशि हो या गम ,आसूं पीयू या रम
दौलत हो या सोहरत , कम हो ज़्यादा,
अपने आप पे भरोसा किया करते है
कभी मायूसी तोह कभी खिलखिला उठते है,
बातो बातो में जोश में आ जाते है
निर्भर नही किसी पे , आत्मविश्वाश खुद पर रखते है,
क्योंकि कम सही गम नही,किसी से भी कम हमे दम नही
यही हमारी तन्हाई हमे सिखाती है,
जब अकेला होता हूँ , तो मेरे चेहरे पे हँसी लाती है
जो कोई न दे सका , वो साथ मेरा निभाती है,
हारने के बाद , जीतने का हौसला मुझमे जगाती है
मेरी तन्हाई मेरा अकेलापन नही, मेरा आईना बन के आती है,
आशा की किरण से ,मेरी ज़िंदगी मे नई सवेरा लाती है
तन्हाई कुछ समय जरूर तकलीफ दे ,
पर ज़िन्दगी जीने का तरीका सिखाती है