तुम ही तुम
तुम ही तुम
मेरी हर बात में शामिल हो तुम
मेरी हर रात में कामिल हो तुम
इबादत में तुम हो इनायत में तुम
शबाब में तुम हो शिकायत में तुम
जहाँ तुम ही तुम हो वहां हम
तुम्हारी यादों में गुम,
शाम सवेरे हर लम्हें में तुम,
करते है एक ही दुआ ख़ुदा से,
जब भी चाहत हो दीदार-ए-सनम का
नज़र के सामने हो तुम ।