STORYMIRROR

Ashu Mishra

Drama

2  

Ashu Mishra

Drama

अहम एक वहम

अहम एक वहम

1 min
1.3K


जला के राख कर देता है,

जब बढ़ जाता है अहम।


मिट्टी में खाक कर देता है,

जब हो जाता है इसका वहम।


अपनों को अपनों से दूर करती है,

भीड़ में अकेलेपन से शिकार करती है।


जरूरत से ज़्यादा हो जाये तो,

गालियों की मार पड़ती है।


होश में जोश गवां बैठती है,

दोस्त को दुश्मन, दुश्मन को दोस्त बनवा बैठती है।


सही को गलत, गलत रास्तों पर चलवा बैठती है,

सोचने की शक्ति को गँवा बैठती है।


अहम एक वहम है यारा,

ज़्यादा मत कर वरना हो जाएगा दुनिया से न्यारा।


सबकी गोल में रहेगा तो ढोल बजेगा,

अहम में रहेगा तो बैंड बजेगा।


अहम के वहम में तू खुद को समझेगा बड़ा है,

जब आस पास देखेगा तो तू अकेला ही खड़ा है।


मत पाल इस तोते को जो है वहम,

बाद में पछतायेगा जो जल्द न किया इसका दहन।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama