फनकार
फनकार
अब मन नहीं करता,
कुछ करने को ए गालिब,
आराम इतना कर लिया के,
सब हमे लगते है ज़ालिम !
मंदिर मस्जिद गुरद्वारे में,
खूब लिया हमने तालीम,
हाथ झूलाते आये थे,
आलस की बीमारी में रह गए खाली !
बैठे बैठे यू निठ्ठले,
गुज़ार दी ज़िन्दगी हमने,
लोगो का मनोरंजन करते रहे और,
लोग बस यही कहते,
बजाओ ताली बजाओ ताली !