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ज़िद्दी दिल

ज़िद्दी दिल

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दूर रहना था जिन इश्क की गलियों से,

जाने कैसे फिर मैं इनमें मुड गया ?


दिल भी जिद्दी था तो अपने पे ही अड़ गया

पर बात तुम्हारी थी तो मैं उससे भी लड़ गया


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