यह दाग तुम्हें अच्छे लगते हैं
यह दाग तुम्हें अच्छे लगते हैं
कभी धर्म कभी जाति के नाम
पर देश को बांट कर
खुद को देश भक्त कहने के
तुम्हारे अंदाज़ अच्छे लगते हैं।
जनता और जवानों के खून से
सींचते हो सियासत की रोटियाँ,
तुम्हारे सफेद कपड़ों पर क्या
यह दाग अच्छे लगते हैं?
जनता के लिए कानून और
जवानों के लिए मानवाधिकार है,
भटके हुए अलगाववादियों से
तुम्हें क्यों प्यार है?
यह खेलते हैं ये जवानों के खून
से होली,
लेकिन तुम्हें ये लोग भटके
हुए बच्चे लगते हैं।
तुम्हारे सफेद कपड़ों पर क्या
यह दाग तुम्हें अच्छे लगते हैं?