यह भाई बहन का रिश्ता भी
यह भाई बहन का रिश्ता भी
कहने को तो
रक्षाबंधन
भाई बहन का
एक प्यार के अहसासों से भरा
त्योहार है लेकिन
न जाने इस दफा क्यों
मेरे मन में निराशा है
उत्साह की कमी है और
इस रिश्ते को लेकर
मन में खटास है
मन में कोई दुविधा नहीं है
सब कुछ एक दर्पण की तरह साफ है
मेरे मां बाप के मरने से पहले और
अब उनके बाद
मेरे भाई और उसके परिवार का
मेरे साथ न कहीं से भी कोई
अच्छा व्यवहार है
मेरे पिता जैसे तो भगवान
भी नहीं
मेरी मां जैसी कोई देवी नहीं
मुझ जैसी प्यार करने वाली
कोई बड़ी बहन नहीं
इससे ज्यादा किसी को कुछ
नहीं मिल सकता
फिर भी
किसी की आंख पर पर्दा पड़ा
रहे और
वह पर्दा युग युगों तक
हटे ही नहीं फिर तो
यह गलतफहमी नहीं बल्कि
एक सोची समझी अपनों के खिलाफ साजिश और
दिल में प्यार की कमी का
होना ज्यादा लगता है
एक लंबे समय से
हमेशा ही
बिना किसी कारण
बहुत बुरा व्यवहार करना
यह अशोभनीय कृत्य है
इस पर भी एक बड़ी बहन का
अपने छोटे भाई के प्रति
सदैव प्यार भरा दिल रखना
और उससे हमेशा अच्छा
व्यवहार करना
किसी दैवीय चमत्कार से कम
नहीं है लेकिन
किसी के दिल में दूसरे के
प्रति कितना भी हो प्यार
वह हो जाता आखिरकार
बेकार
कुछ हाथ नहीं लगता
दिल हार कर एक कोने में
बैठ जाता होकर लाचार
सामने वाले का भी
समझदार होना जरूरी है
बड़ी बहन एक मां के
समान होती है लेकिन
आजकल के दौर में
दिखावा ज्यादा है
दिलों में प्यार का अभाव है
रक्षाबंधन के त्योहार
वाले दिन
कलाई पर राखी बांधने
माथे पर तिलक लगाने
मुंह में कुछ मीठा खिलाने
थाली भर भर पकवान
खाने
महज साल में
उस एक दिन खानापूर्ति
करने भर से
यह भाई बहन का रिश्ता भी
टूटने की कगार पर है
मुस्कुराती हुई तस्वीरें
हमेशा सच नहीं होती
कुछ कहने और
लिखने को सुंदर बनाने के
लिए
बहुत कुछ बनावटी कहा जा
सकता है लेकिन
अपने दिल पर हर कोई
हाथ रखे और
सच सच कहे कि
क्या मैंने कहीं कुछ गलत
कहा
सच में
सच कहने के लिए
बहुत हिम्मत और
एक बहुत बड़ा दिल
चाहिए होता है
जैसे मैं इस रिश्ते को
चला रही हूं
वैसे ही
सबके समक्ष सच को
बयान करने की
हिम्मत भी रखती हूं।
