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Dr. Chanchal Chauhan

Romance Classics

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Dr. Chanchal Chauhan

Romance Classics

ये ख्वाहिश है मेरी

ये ख्वाहिश है मेरी

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ये ख्वाहिश है मेरी

तुम भी मुझे इतनी ही शिद्दत से चाहों

जिस शिद्दत से मैं तुम्हें चाहूं

ये ख्वाहिश है मेरी।


मैं तुम्हें भूल जाऊँ अगर तो

बाहों के आगोश में उलझा लो तभी

ये ख्वाहिश है मेरी।


धन दौलत ऐशो आराम की नहीं

बस मान सम्मान स्वाभिमान की

ये ख्वाहिश है मेरी।


यूं तो ख्वाहिशों का पिटारा हूँ मैं

पर ये ख्वाहिश ख्वाहिश है मेरी।


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