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Arunima Bahadur

Romance Action

3  

Arunima Bahadur

Romance Action

ये कैसा प्रेम

ये कैसा प्रेम

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कि क्या लिखूं,

जब करतल पर लिए दिल फिरते हो,

तो क्या कहूँ,

जैसे लिए हो

ज़ेरॉक्स कॉपी दिल की,

आज दे दी इसको,


कल सौप दी उसको,

फिर इस प्रेम को भी क्या कहूँ,

खुद तो चाहें निर्मल सा साथी,

खुद ही कितने निर्मल क्या कहूँ,

क्या हुई प्रेम की परिभाषा,


कितनी बदली सी है भाषा,

प्रेम पथिक जो बनते हो,

पर पग पग पर छलते हो,

काश जी लेते प्रेम भी,


बन जाते कुछ प्रेम भी,

बदल जाती फिर रिश्तों की सूरत,

जागती फिर प्रेम की मूरत,

चली आती मूरत फिर मीरा संग भी,


भीगती चुनरी प्रेम रंग भी,

समा जाती फिर मीरा श्याम में,

हो जाती हर जोड़ी कुछ मीराश्याम सी,

होती प्रेम की पराकाष्ठा राधा श्याम सी।


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