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निखिल कुमार अंजान

Drama

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निखिल कुमार अंजान

Drama

ये जिंदगी सिगरेट के जैसी है

ये जिंदगी सिगरेट के जैसी है

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ये जिंदगी सिगरेट के जैसी है

समय उसको ऐसे पीता है कि

सुख धुँआ और ग़म राख में

तब्दील हो जाता है।


सुख धुँए की तरह हवा में उड़ता है

एंव ग़म ऐश की तरह ज़मीन पर।


समय जिंदगी रुपी इस सिगरेट के

ऐसे कश लगाता है कि

कुछ ही लम्हों में यह केवल

राख के रुप मे तब्दील होकर रह जाता है।


लेकिन समय रुकता नहीं है

लगातार चैन स्मोकिंग करता है

फिर भी ग़जब है

इसे कैंसर नहीं होता।


है न ग़जब, ज़ालिम धीरे-धीरे

जीवन को लील लेता है

और हम सुख एवं दुख के

चक्कर में ही उलझे रहते हैं।


जैसे सिगरेट में इतने कलेवर है

वैसे ही जिंदगी में हैं

किंतु इनके आंनद भी

समय ही ले लेता है।


अलग अलग ब्रांड की

जिंदगी है लेकिन

कमब्खत समय का कोई

स्पेशल ब्रांड नहीं है।


इसे तो सिर्फ

कश लगाने से मतलब

चाहे कोई सी भी हो

छोटी हो या बड़ी

समय तो राख बनाएगा।


फिर क्यों न लाइफ में

मौजूद कलेवर का

आंनद लिया जाए और

बिंदास होकर जिया जाए।।


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