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Deepti S

Classics

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Deepti S

Classics

ये चुप्पी क्यूँ

ये चुप्पी क्यूँ

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​सुन ओ सखी सुनाती हूँ तुझे कहानीजवाब देती हूँ मैं इस प्रश्न का

क्यूँ बचपन से बड़े होने तक

ये कैसी चुप्पी तूने है साधी


बचपन में जब देखा होता 

दादी नानी पर अत्याचार

उम्र के हम सब थे कच्चे

इसलिए समझ न पाये दुर्व्यवहार


कॉलेज जब हम जाने लगे 

कुछ परिवर्तन खुद में भी नजर आने लगे

पर ये क्या...यहाँ तो सड़क चलती लड़कियों पर

लड़के फ़ब्तियाँ कस तमाशा बनाने लगे


जब माँ बाप को जाकर बताया 

तो लड़कों से कोई पंगा न लेने का फ़रमान पाया

और अगले दिन से भैया या पापा का वाहन

हमें टयूशन या कॉलेज के दरवाज़े तक छोड़ के आया


फिर कभी कभी रिश्तेदार भी कुछ 

आशीर्वाद देने के बहाने पीठ भी सहलाने लगे

तब थोड़ा अटपटा तो लगा पर समझ नहीं आया

क्यूँकि घरवालों ने तब बैड और गुड टच न था समझाया


जब स्वयं में इतना दृढ़ विश्वास पा लिया

कि ग़लत और सही का ज्ञान भाँपना आ गया

तब भी चुप्पी साध ली हम में से बहुतों ने

क्यूँकि खुद को नारी की श्रेणी में बेचारी समझती अनेकों में


बच्चों के कारण घुटने को भी तैयार है

क्यूँकि समाज की यही तो मात्र ठेकेदार है

कई बार चुप्पी को भी तोड़ा है

उसके बदले अहंकारी समाज ने कितनी बार मरोड़ा है


अब बताओ हमें कि कैसे इस चुप्पी को तोड़ें

जब तक घरवाले भी समाज का अंग बन जाते 

वापस उसको कुछ और दिन देख ले

फिर पंचायत करने को कहते रहते उस से हाथ जोड़े


आओ सखी हिम्मत कर 

खुद इस समाज को दिखायें नयी दिशा

एक दूजे को हिम्मत दे सहारा बन

बिन चुप्पी की खड़ी करें एक नयी दुनिया।


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