यादों का बक्सा
यादों का बक्सा
मुद्दतों बाद, जब मैंने खोला अपनी यादों का बक्सा।
तो उसमें थे कुछ पुराने खत और एक सूखा गुलाब।
इनसे जुड़े हुए थे, पहले मगर अधूरे इश्क के जज़्बात।
खतों को छूने भर से, खुल गई यादों की बंद किताब।
खतों को पढ़ते हुए उमड़ पड़ा, आँसुओं का सैलाब।
और सूखा गुलाब दे गया, रूह तलक यादों की खुशबू बेहिसाब।