यादगार मुलाकात
यादगार मुलाकात
मन में क्या चल रहा है, कैसे हम बतलाएं,
ज़ुबां पर इसे लाएं कैसे, सोचकर दिल घबराए,
अजनबियों से बातें करना हमें अभी आया नहीं,
हम आपको चाहने लगे है, ये कैसे समझाएं...
शर्म भरी निगाहों से देखता है दिल हमारा आपको,
आंखों से ही करता है कुछ इशारा आपको,
बंद ज़ुबां से बातें करना बेशक हम जान गए,
अपनी तमन्ना बोलकर आपको कैसे बतलाएं...
इश्क की जबां सीखने को वक्त भी चाहिए,
जज्बातों को उभार सके, वो लफ्ज़ भी चाहिए,
आंखों की प्यास को तो इस मुलाकात ने बुझा दिया,
दिल के बवंडर को हम शांत कैसे कराएं...
पहली मुलाकात में ही आप कितने करीब आ गए,
अपनी मुस्कुराहट से झिझक की दीवार गिरा गए,
जिन लम्हों ने आपके अजनबी होने की गवाही दी,
वक्त के इजलास में वो लम्हें सजा पा गए...

