सबसे बड़ा डर
सबसे बड़ा डर
उलझी हुई राहें है, दिखती नहीं मंज़िल,
हमसफर की तलाश में भटक रहा है दिल,
जाने क्या हो गया हमें इस तन्हाई में,
खुद को पहचानने में होने लगी मुश्किल...
कल थे जो हमसफर, अब अजनबी हो गए,
छोड़कर हमारा साथ कहीं भीड़ में खो गए,
कैसे ढूंढ़ें हम अब समंदर में कश्तियां,
लहरों की तलाश में जब छूट गया साहिल...
किससे कहेंगे हम अपने दिल की बात,
होती नहीं अब हमारी उनसे मुलाकात,
जिनको हम समझते थे राज़दार अपना,
वो नहीं थे हमारी दोस्ती के काबिल...