बहाने बहुत हैं
बहाने बहुत हैं
पास आने के मौके भले ही न मिलते हों,
खुद से दूर जाने के बहाने बहुत हैं।
लबों पे मुस्कान लाए ऐसी ग़ज़ल ना हो,
दिलों में दर्द भर दें, ऐसे अफसाने बहुत हैं।
खुशियां इंसान से हरदम वफा नहीं करतीं,
अश्कों के कर्ज़ का सूद अदा नहीं करतीं,
गमों को बांट लें, ऐसे हमसफर ना सही,
बेखुदी में डूब जाएं, ऐसे मयखाने बहुत हैं।
शमां जब जलती है, रौशन होता है समां,
इश्क के ज़ोर से तो झुक जाता है आसमां,
खिल जाएं मन की कलियां, ऐसे जाम ना सही,
आंसुओं को छलका दें, ऐसे पैमाने बहुत हैं।