ज़िंदगी का फलसफ़ा
ज़िंदगी का फलसफ़ा
आसां नहीं होता खुद पे करना भरोसा,
इस जहां में हर कदम है करना समझौता,
ज़िंदगी नहीं मिलती फूलों की सेज बिछाकर,
कदम-कदम पर मिलता है कांटों का न्यौता
जो नहीं हारते हिम्मत मुसीबतों में,
वो ही बन पाते हैं जीवन के विजेता,
मोती नहीं मिलते हैं सागर के किनारे,
उन्हें पाने को लगाना ही पड़ता है गोता
ख़्वाब तो देखता है हर शख्स मगर,
सोचा हुआ हर किसी को नहीं मिलता,
ढूंढते रहते हैं हम अपने-आप में किसी को,
हमसफर-सा वो लेकिन सभी को नहीं दिखता..