यादें
यादें
जब दर्द बनकर यादे तेरी
नासूर का रूप ले लेती है
लाख संभालू ख़ुद को मैं
वो लहू की धारा बन करके
इन आँखों से बह जाती हैं....
याद आती हैं गरमाहाट मुझे
तेरे हाथों की गरम हथेली की
चलते चलते उन सड़को पर
साथ लिये उन कितने वादों की....
वो बीच सड़क पर तेरा यूँ
घुटनों के बल बैठ जाना
सारा आलम पल भर में
मेरे कदमों के नीचे आ जाना.....
चाँद सितारों की बातें सब
याद आती चांदनी रातें वो
झिलमिल झिलमिल तारों से
दामन में खुशियाँ भरता तू
पल भर में चाँद सितारें सब
पहलू में आ कर ठहर जाते .....
वो लम्बी रात अंधेरी में
मिठा सपना बनके तू
मिश्री घोलता मेरे ख़्वाबों में
उन यादों की धुंधली छाया
रातों को सोने ना देती हैं
वो सतरंगी यादें ना जाने, क्यों मुझको बड़ा सताती है.....