"इंतजार"
"इंतजार"


इंतजार है मुझे....
उस पतझड़ का,
जब पत्ते पेड़ और डालियों से हो जाते हैं विलग
और फिर रह जाता हैं....
पेड़ और उसकी हर डाली ठूंठ और बेजान
वही पत्ता अलग होकर खो देता है.....
अपना अस्तित्व और पहचान
और फिर सूखकर हो जाता है नष्ट
वो लोग जिन्होंने कभी उन पत्तों की छांव में बैठकर.....
पाई थी राहत और सुकून,
वो बिना किसी हिचकिचाहट और घबराहट के....
उन पत्तों पर पैर रखकर उनकाे कुचलकर बढ़ जाते हैं आगे
वहीं दूसरी ओर नई उमंग और उल्लास के साथ....
वो पेड़ जो रह गया था ठूंठ,
करता है बसंत का इंतजार...
और फिर नई कलियों, पत्तों, फूल और फलों के साथ,
झूम उठने की कर लेता है तैयारी....
भूल कर अपने उन पत्तों को,
जो छोड़ कर चले गए थे और बना गए थे उसे ठूंठ..
यहीं इंतजार और उम्मीद .....
उसको फिर से कर देता है हरा-भरा
और फल- फूलों से शृंगारित ...!!
मधु गुप्ता "अ
पराजिता" इंतजार है मुझे....
उस पतझड़ का,
जब पत्ते पेड़ और डालियों से हो जाते हैं विलग
और फिर रह जाता हैं....
पेड़ और उसकी हर डाली ठूंठ और बेजान
वही पत्ता अलग होकर खो देता है.....
अपना अस्तित्व और पहचान
और फिर सूखकर हो जाता है नष्ट
वो लोग जिन्होंने कभी उन पत्तों की छांव में बैठकर.....
पाई थी राहत और सुकून,
वो बिना किसी हिचकिचाहट और घबराहट के....
उन पत्तों पर पैर रखकर उनकाे कुचलकर बढ़ जाते हैं आगे
वहीं दूसरी ओर नई उमंग और उल्लास के साथ....
वो पेड़ जो रह गया था ठूंठ,
करता है बसंत का इंतजार...
और फिर नई कलियों, पत्तों, फूल और फलों के साथ,
झूम उठने की कर लेता है तैयारी....
भूल कर अपने उन पत्तों को,
जो छोड़ कर चले गए थे और बना गए थे उसे ठूंठ..
यहीं इंतजार और उम्मीद .....
उसको फिर से कर देता है हरा-भरा
और फल- फूलों से शृंगारित ...!!