STORYMIRROR

kanchan aprajita

Fantasy

4  

kanchan aprajita

Fantasy

चाहत

चाहत

1 min
356

चाहत है

चंद रूपये ले

कुछ पल खरीदूँ।


तनिक मीठे बोल पर

निसार हो जाऊँ।

हल्की सी हँसी के बीज

किसी उर्वर मन मे बोऊँ।


ठहाकों की गूँज से

खामोशी के पत्ते झाड़ूँ।

फूलो की चटक खिलने के स्वर में 

बच्चों की किलकारी सुनूँ।


कभी सन से पके बाल को

कपास का पुष्प समझूँ।

पवन का अल्हड़ता मे

युवा मन की बेचैनियाँ देखूँ।


यौवन की मस्तियाँ

बिंदास हो महसूस करूँ।

हाँ सोचती हूँ 

उम्र की टहनियाँ तोड़

हर मन पर अपना दस्तखत दूँ।


दिल में न रहे आह

जिन्दगी तुझे जी भर जी लूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy