kanchan aprajita
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बहुत शरारती होता है
कुदरत भी।
बहार चाहोगे
खिजा आयेगी।
धूप माँगोगे
आसमां से बूँद
मिल जायेगी।
जो नही कुछ चाहो तो
बसंत चाह जगायेगी।
साथ तुम्हारा ...
बसंत
सखी बसंत आया
चाहत
क्षणिका
सोलहवें साल क...
तुम