सोलहवें साल का पहला प्यार
सोलहवें साल का पहला प्यार
ढ़लते हुये सूरज पर तेरा मिलना
तेरे संग चंद लम्हे यूँ ही चलना
एक झोंका सा जिंन्दगी से गुजरना
सोलहवें साल का पहला प्यार
क्या तुम्हें याद आता है...
अपनी बातों का न ओर-छोर होना
मेरे हाथों में दुपट्टे के कोर का होना
मेरा दो परिंदे देख खुशी से चहकना
मेरे बालों में सजे गुलाब का महकना
क्या तुम्हें अब भी भाता है...
तेरी बातों को समझकर न समझना
अपनी उलझनों में बार-बार उलझना
हर किसी से हर बात का मेरा कहना
मेरा सादगी व मासूम सा अल्हड़पन
क्या तुम्हें अब भी तड़पाता है..
वो मेरी लंबी सी शाँपिंग की फेहरिस्त
वो मनचाहे गानों की लंबी सी लिस्ट
वो बैठ कॉफी पीना बन कर विशिष्ट
वो मेरे अपने मन की करना बन दुष्ट
क्या तेरी पलकों को भिगाता है..
तुम्हें याद हो न हो पर ये पहला प्यार
आज भी मेरे दिल को धड़का जाता है।