अगर तुम सामने बैठो
अगर तुम सामने बैठो


तेरी आँखों की काजल से,
स्याही खुद बना लूँगा ।
तेरे पल्लू के कोने को,
समझ कागज़ मैं लिखूंगा ।।
अगर तुम सामने बैठो,
नई कविता बना लूँगा ।।
चुरा धड़कन तेरे दिल की,
मैं सरगम में पिरो लूँगा ।
तेरी पायल की छम-छम को,
नए सुर में सजा लूँगा ।।
अगर तुम सामने बैठो,
नया संगीत बना लूँगा ।।
तेरे होठों की लाली से,
अधूरे रंग भर लूँगा ।
मैं अपनी चित्रकारी को,
तेरी परछाई बना लूँगा ।।
अगर तुम सामने बैठो,
नई तस्वीर बना लूँगा ।।
मैं तेरी रूह में बसकर,
पवित्र आत्मा बना लूँगा।
ना भटकूँ इस जहाँ में मैं,
तुझे अपना बना लूँगा ।।
अगर तुम सामने बैठो,
धरा पर स्वर्ग बसा लूँगा।।